Book Title: Agam 26 Chhed 03 Vyavahara Sutra Vavaharo Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 15
________________ बोओ उद्देतो ठवणिज्ज-कप्पट्ठिय-पदं १. दो साहम्मिया एगओ' विहरंति 'एगे तत्थ" अण्णयरं अकिच्चट्ठाणं पडिसेवेत्ता आलोएज्जा, ठवणिज्ज ठवइत्ता करणिज्जं वेयावडियं ।। २. दो साहम्मिया एगओ विहरंति, 'दो वि ते" अण्णयरं अकिच्चट्ठाणं पडिसे वेत्ता आलोएज्जा, एगं तत्थ कप्पागं ठवइत्ता एगे निव्विसेज्जा, अह पच्छा से वि निव्विसेज्जा ॥ ३. बहवे साहम्मिया एगओ विहरंति, एगे तत्थ अण्णयरं अकिच्चट्ठाणं पडिसेवेत्ता आलोएज्जा, ठवणिज्ज ठवइत्ता करणिज्ज वेयावडियं ।। ४. बहवे साहम्मिया एगओ विहरंति, 'सव्वे वि ते'' अण्णयरं अकिच्चट्ठाणं पडिसे वेत्ता आलोएज्जा, एगं तत्थ कप्पागं ठवइत्ता अवसेसा निव्विसेज्जा', अह" पच्छा से वि निव्विसेज्जा। ५. परिहारकप्प दिए भिक्खू गिलायमाणे अण्णयरं अकिच्चट्ठाणं पडिसेवेत्ता आलोएज्जा, से य संथरेज्जा ठवणिज्जं ठवइत्ता करणिज्ज व्यावडियं। से य नो संथरेज्जा अणुपरिहारिएणं करणिज्ज' वेयावडियं। ‘से तं अण परिहारिएणं कीरमाणं वेयावडियं साइज्जेज्जा, से विकसिणे तत्थेव आरुहेयव्वे सिया ॥ १. एगततो (ग, चू); एमयओ (जी, शु)। २. तत्थेगे (ता)। ३. ते दोवि (ता)। ४. तओ (ता)। ५. ते सव्वे (ता)। ६. णिव्विसंति (ता)। ७. x (ता)। ८. णिव्विसइ (ता)। ६. वेदावडियं (चू)। १०. तस्स करणिज्ज (ता) । ११. वि कीरमाणेणं (ता)। १२. आरुभेतब्बे (क, ग); आरुभेयव्वे (ता)। ६०६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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