Book Title: Agam 26 Chhed 03 Vyavahara Sutra Vavaharo Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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नवमो उद्देसो
६५१ आणाए अणुपालिया भवई ।। संखावत्तिय-पवं ४२. संखादत्तियस्स' णं 'भिक्खुस्स पडिग्गहधारिस्स" जावइयं-जावइयं केइ अंतो पडि
ग्गहंसि उवित्ता दलएज्जा तावइयाओ ताओ दत्तीओ वत्तव्वं सिया, तत्थ से केइ छव्वेण वा दूसएण वा वालएण वा अंतो पडिग्गहंसि उवित्ता दलएज्जा, 'सव्वा वि णं सा" एगा दत्ती वत्तव्वं सिया। तत्थ से बहवे भुंजमाणा सव्वे ते सयं पिंडं
अंतो पडिग्गहंसि उवित्ता दलएज्जा, सव्वा वि ण सा एगा दत्ती वत्तव्वं सिया ॥ ४३. संखादत्तियस्स" णं भिक्खुस्स पाणिपडिग्गहियस्स" जावइयं-जावइयं केइ अंतो
पाणिसि उवित्ता दलएज्जा तावइयाओ ताओ दत्तीओ वत्तव्वं सिया । तत्थ से केइ छव्वेण वा दूसएण वा वालएण वा अंतो पाणिसि उवित्ता दल एज्जा, सव्वा वि णं
सा एगा दत्ती वत्तव्वं सिया। तत्थ से बहवे भुंजमाणा सव्वे ते सयं पिडं अंतो १. ४१ सूत्रानन्तरं 'ग' प्रती शुब्रिगसम्पादित- दत्ती ।। प्रस्तुतसूत्रसंस्करणे च सूत्रचतुष्टयं दृश्यते, ३. भिवखुस्स पडिग्गहधारिस्स गाहावतिकुलं यथा--सागारियनायए सिया सागारियस्स एग- पिंडवायपडियाए अणुपविट्ठस्स (ख); वगडाए एगदुवाराए एमनिक्खमणएवेसाए x (म)। सागारियस्स एगवयू सागारियं च उवजीवइ ४. उवइत्तु (ग, जी, शु)। तम्हा दावए नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए । ५. दलेज्जा (ग)। सागारियनायए सिया सागारियस्स एगवगडाए एगदुवाराए एगनिक्खमणपवेसाए सागारियस्स ७. छप्पएण (ख, ग, जी, शु)। अभिनिक्यू सागारियं च उवजीवइ तम्हा ८. चालएण (ख) दावए नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए ।
६. सा वि णं सा (ग, जी, शु), सापि णमिति सागारियनायए सिया सागारियस्स अभिनिव्व- वाक्यालङ्कारे (म)। गडाए अभिनिदुवाराए अभिनिक्खमणपवे- १०. 'क, ता' संकतितादर्शयोरेतत् सूत्र संक्षिप्त साए सागारियस्स एगवयू तम्हा दावए नो से विद्यते--संखादत्तियस्स णं भिक्खुस्स पाणिपडि. कप्पइ पडिगाहेत्तए।
गगहियस्स जावतियं जावतियं परी पाणिसि सागारियनायए सिया सागारियस्स अभिनिव्व- दलयति तावइयाओ तावइयाओ दत्तीओ सेसे गहाए अभिनि दुवाराए अभिनिक्खमणपवेसाए परो छव्वेण वा चेलेण वा सुप्पेण वा साहट सागारिय स्स अभिनिवयू तम्हा दावए नो से दलयति सम्वा सा एग दत्ती । 'ग' प्रती च कप्पइ पडिगाहेत्तए।
पाठसंक्षेप: एवमस्ति-पाणिपडिग्गहियस्स वि २. 'क, ता' संकेतितादर्शयोरेतत् सूत्रं संक्षिप्तं एवं चेव वत्तव्वं नवरं अंतो पाणिसि उवित्ता विद्यते—संखादत्तियस्स णं भिक्खुस्स पडिग्गह- दलएज्जा । घारिस्स जावतियं २ परोपडिग्गहंसि दलयति ११. हियस्स गाहावइकुलं पिंडदायपडियाए अणुतावत्तियाओ सेसे परो छन्वेण वा चेलेण वा पविटुस्स (ख)। सुप्पेण वा साहट्ट दलयति सव्वा सा एगा
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