Book Title: Agam 26 Chhed 03 Vyavahara Sutra Vavaharo Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 30
________________ ६२४ परिहारे वा " ॥ २०. चरियापविट्ठे भिक्खू जाव चउरायाओ पंचरायाओ थेरे पासेज्जा, सच्चेव आलोयणा' सच्चेव पडिक्कमणा सच्चेव ओग्गहस्स पुव्वाणुण्णवणा चिट्ठइ अहा दमवि ओग्गहे || २१. चरियापविट्ठे भिक्खू परं चउरायाओ पंचरायाओ थेरे पासेज्जा पुणो आलोएज्जा पुणो पडिक्कमेज्जा 'पुणो श्रेय - परिहारस्स उवट्टाएज्जा । भिक्खुभावस्स" अट्ठाए दोच्च प ओग्गहे अणुण्णवेयव्वे सिया-अणुजाणह भंते ! मिओग्गहं अहालंद धुवं नितियं' वेउट्टियं, तओ पच्छा काय संकासं ॥ २२. चरियानिट्टे' भिक्खू जाव चउरायाओं' पंचरायाओ थेरे पासेज्जा, सच्चेव आलोयणा सच्चेव पडिक्कमणा सच्चेव ओग्गहस्स पुव्वाणुण्णवणा चिट्ठइ अहालंदमवि ओग्गहे ॥ २३. चरिया नियट्टे भिक्खू परं चउरायाओ पंचरायाओ थेरे पासेज्जा, पुणो आलोएज्जा पुणो पडिक्कमेज्जा 'पुणो छेय- परिहारस्स उवट्ठाएज्जा । भिक्खुभावस्स अट्ठाए दोच्च पि ओग्गहे अण्णुण्णवेयव्वे सिया-अणुजाणह भंते ! मिओग्गहं महालंद धुवं नितियं वेउट्टियं, तओ पच्छा कायसंफासं ॥ ववहारो सेह - राइणिय संबंध-पर्व २४. दो साहम्मिया एगयओ विहरंति, तं जहा -- सेहे य राइणिए य । तत्थ सेहत राए " पलिच्छन्ने, राइणिए अपलिच्छन्ने । 'सेहत एवं राइणिए उवसंपज्जियव्वे, भिक्खोववायं च दलयइ कप्पागं ॥ १. x (क, ता ) । २. चारिया (क, ता ) । ३. आलोयणता (क, ता) | ४. परं जाव (क, ता ) 1 ५. भिक्खु (मह); भिक्खुभावस्स (मवृपा) । ६. नितियं नेच्छइयं जं ( ख ) । ७. कप्पइ से एवं वदित्तए अणुजाणह भंते! मिउ ध्रुवं नितियं सासयं वेउट्टियं तओ पच्छा कायसंफासं भिक्खुभावस्स अट्ठाए दोच्वंपि ओग्गहे अणुण्णवेयव्वे सिया महालंदमवि ओग्गहे (क, ता ) । ८. 'कता' संकेतितादर्शयोः एतत्सूत्रं नैव दृश्यते; 'ग' संकेतितादर्शे प्रस्तुतस्य पुरो वर्तनश्च सूत्रद्वयस्य स्थाने एवं पाठसंक्षेपोस्ति — एवं नियट्टे वि दो गमा । Jain Education International ९. चाउरा ( ख ) 1 १०. कप्पइ से एवं वदित्तए अणुजाणह भंते ! मिउग्गहं जाव तो पच्छा कायसंफासं भिक्खु - भावस्स अट्ठाए दोच्चं पि ओग्गहे अणुजाणेयव्वे सिया । अहालंदमवि ओग्गहे (क, ता ) ; पुणो छेयपरिहारस्स उबट्ठाएज्जा कप्पति से एवं वदित्तए अणुजाणह भंते! मिउग्गहं अहालंद ध्रुवं नितियं नेच्छइयं जं विउट्टियं तओ पच्छा कायसंफासं भिक्खुभावस्स अट्ठाए दोच्चं पि ओहं अणुण्णवेयव्वे सिया ( ख ) । ११. सेहे (क, ता, मट्ट) । १२. तत्थ सेहतराए पुव्वामेव राइणियं उवसंपज्जेज्जा तो पच्छा सेहं राइणिए उवसंपज्जति ओवायस्ट्टाए भिक्खु दलयइ कप्पा (क) a) : For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68