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विपय और प्रश्नादि
पत्राफ विपय और प्रज्ञनादि
पत्राक एव ईशान देव देवी प० रुप० शादि की स्थिति | २२७ असुरकुमार के अनन्त पयाय कहे |२१२ सनत्कुमार दवी देय प० अप० आदि स्थिति | २२८ एव जैस नारकी तथा असुरकमार के अनन्त ब्रह्मदय देवी से लेके अच्युत देवलोक के देव पर्याय कहे तेस नागकुमार यायत् स्ननितकताथो की स्थिति सविशेप २२९
मार को कहना २४१ नव ग्रेयेयक विमान देव प० अप० स्थिति | २३२
पृथिवीकाय के अनन्ता पर्याय कहे विजय वैजयन्त जयन्त अपराजित देव प० अकाय के अनन्ता पर्याय कहे
२४४ अप० स्थिति | २३५ तेजस्काय के अनन्त पर्याय
२४५ सार्यसिह देव प० अप०
वायुकाय के अनन्त पर्याय (चौथा स्थिति पद पूर्ण हुआ)
यनस्पतिकाय के अनन्त पर्याय वैरिद्री के अनन्त पर्याय
२४६ ॥ पाचमा पद थारम्म n
तरिद्री पौरिद्रो तथा पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च के कितने मे पर्यय है, जीव अजीवके पर्यय | २३५
अनन्ता पर्याय २४७ नारकी के अनन्ता पर्याय कहे २३७ / मनुष्य के अनन्सा पर्याय
२१७
२४५