Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
||सीसगपरिमंडिआभिरामा अलकापुरीसंकासा पभुइयपक्कीलिआ पच्चक्खं देवलोगभूआ रिद्धस्थिमिअसभिद्धा पभुइअजजाणवया |
जाव पडिरूवा ॥४२॥ तत्थ् णं विणीआए रायहाणीए भरहे णामं राया चाउरंतचक्कवट्टी समुष्पन्जित्था, महयाहिमवंतमलयमंदर जाव रजं पसासेमाणे विहरइ, बिइओ गमो रायवाणगस्स इमो तत्थ् असंखेजकालवासंतरेण उप्पए जसंसी उत्तमे अभिजाए सत्तवीरिअपरक्कमगुणे पसत्थवण्णसरसारसंघयणतणुगबुद्धिधारणमेहासंठाणसीलप्यगई पहाणगारवच्छायाग (५० २)इए अणेगवयणप्पहाणे तेअआउबलवीरिअजुत्ते अझुसिधणणिचिअलोहसंकलणारायवइरउसहसंघयणदेहधारी झसजुगभिंगारवद्धमाणग
छत्तवीअणपडागचक्क १०णंगलमुसलरहसोस्थिअंकुसचंदाइच्च्अग्गिजूयसागर २० इंदज्झयपुहविपउमकुंजरसीहासण दंडकुम्भगिरिवरतुरगवरवरमउड ३० कुंडलगंदावत्तधणुकोंतगागरभवणविभाण३६अणेगलक्खणपसत्थसुविभत्तचित्तकरचरणदेसभागे उद्धामुहलोमजालसुकुमालणिद्धमआवत्तपसत्थलोमविरइअसिरिवच्छच्छण्णविउलवच्छे देसखेत्तसुविभत्तदेहधारी तरुणरविरस्सिबोहिअवरकमलविबुद्धगब्भवण्णे हयपोसणकोससण्णिभपसत्थपिटुंतणिरूवलेवे पउमुष्पलकुंदजाइजूहियवरचंपगणागपुष्फसारंगतुल्लगंधी छत्तीसाअहिअपसत्थपत्थिवगुणेहिं जुत्ते अव्वोच्छिण्णातपत्ते पागडउभयजजोणी विसुद्धणिअगकुलगयणपुण्णचंदे चंदेइव सोमयाए यणमणिव्वुइकरे अक्खोभे सागरोवथिमिए धणवइव्व भोगसमुदयसव्वयाए समरे अपराइए परमविक्कमगुणे अमरवइसमाणसरिसरुवे मणुअवई भहचकवट्टी भरहं भुंजइ पणट्ठसत्तू ॥४३॥ तए णं तस्स भरहस्सरण्णो अण्णया क्याई ॥श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
| पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225