Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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पुरस्थिमपच्चत्थिमेणं लवणसमुई समप्येइ, एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे हरिवासरम्भगवासेसु दो चउवीसा सलिलासथसहस्सा || भवंतीतिमक्खायं, जंबुद्दीवे महाविदेहे वासे कइ महाणईओ?, गो०! दो महाणईओ पं० २०-सीआ य सीओआ य, तत्थ णं एगमेगा महाणई पंचहिं २ सलिलासयसहस्सेहिं बत्तीसाए य सलिलासहस्सेहिं समग्गा पुरथिमपच्चत्थिमेणं लवणसमुदं समप्पेइ, एवामेव सपुव्वावरेणं महाविदेहे वासे दस सलिलासयसहस्सा चउसद्धिं च सलिलासहस्सा भवन्तीतिमक्खायं, जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वंयस्स दक्खिणेणं केवइया सलिलासयसहस्सा पुरथिमपच्चत्थिमाभिमुहा लवणसमुदं समष्यति?, गो०! एगे छण्ण३५ सलिलासयसहस्से पुरस्थिमपच्चस्थिभाभिमुहे लवणसमुदं समप्येति, जंबुद्दीवे मंदरस्सपव्वयस्स उत्तरेणं केवड्या सलिलासयसहस्सा पुरथिमपच्चत्थिमाभिमुह लवणसमुदं समष्यति ?, गो०! एगे छण्णउए सलिलासयसहस्से पुरथिमपच्चत्थिमाभिमुहे जाव समध्येइ, जंबुद्दीवे केवइआ सलिलासयसहस्सा पुरथिमाभिमुहा लवणसमुदं समप्यति?, गो०! सत्त सलिलासयसहस्सा अट्ठावीसं च सहस्सा जाव सम्ध्येति, जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे केवइआ सलिलासयसहस्सा पच्चत्थिमाभिमुहा लवण?, गो०! सत्त सलिलायसहस्सा अट्ठावीसं च सहस्सा
मेव सपव्वावरेणं जंबद्दीवे चोइस सलिलासयसहस्सा छप्पणंचसहस्सा भवंतीतिमक्खायं १२६) जंबुद्दीवेणं भं ! कई चंदा पभासिंसु पभासंति पभासिस्संति कई सूरिया तवइंसु तवेति तविस्संति केवइया णखत्ता जोगं जोइंसु जोयति जोइस्संति केवड्या महग्गहा चारं चरिसु चरति चरिस्संति केवइयाओ तारागणकोडाकोडीओ सोभं सोभिंसु सोभंति सोभिस्संति ?, गो० ! दो ॥श्री जंबूद्वीप प्रजाप्ति सूत्र
| पू. सागरजी म. संशोधित
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