Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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॥९३॥ इंद मुद्धाभिसित्ते य सोमणसधणंजए य बोद्धव्वे अत्यसिद्ध अभिजाए अच्चसणे सयंजए चेव ॥९४॥ अग्गिवेसे उसमे|| दिवसाणं होतं णामधेजाई, एतेसिंणं भंते ! पण्णरसण्हं दिवसाणं कति तिही पं०?, गो० पण्णरस तिही पं० २०-नंदे भद्दे जए तुच्छे पुण्णे पक्खस्स पंचमी पुणरवि गंदे भद्दे जए तुच्छे पुण्णे पक्खस्स दसमी पुणरविणंदे भद्दे जए तुच्छे पुण्णे पक्खस्स पण्णरसी, एवं तिगुणा तिहीओ सव्वेसिं दिवसाणं, एगमेगस्सणं भंते ! पक्खस्स कइ राईओ पं०?, गो०! पण्णरसराईओ पं० २०-पडिवाराई जाव पण्णरसीराई एआसिंणं भंते ! पण्णरसहं राईणं कइ णामधेजा पं०?, गो० ! पण्णरस नामधेजा पं०-तं०.-'उत्तमा य सुणखत्ता, एलावच्चा जसोहरासोमणसा चेव तहा, सिरिसंभूआय बोद्धव्वा ॥९५॥ विजया य वेजयन्ती जयंति अपराजिआ य इच्छा या समाहारा चेव तहा तेआ य तहेव अईतेआ ॥९६॥ देवाणंदा गिरई रयणीणं णामधिज्जाई, एयासिंणं भंते ! पण्णरसण्हं राईणं कई तिही पं०?, गो० पारस तिही पं० २०, उग्गवई भोगवई जसवई सव्व(४)सिद्धा सुहणामा पुणरवि उग्गवई भोगवई जसवई सम्वसिद्धा सुहणामा, पुणरवि उग्गवई भोगवई जसवई सव्वसिद्धा सुहणामा, एवं तिगुणा एते तिहीओ सव्वेसिं राईणं, एगमेगस्सणं भंते' अहोरत्तस्स कइ मुहुत्ता पं०?, गो०! तीसं मुहुत्ता पं० २०- रुद्दे सेए मित्ते वाउ सुबी( पीए तहेव अभिचंदे।माहिंद बलव बंभे बहुसच्चे चेव ईसाणे ॥९७॥ तटे य भाविअप्पा वेसमणे वारूणे य आणंदे विजए य वीससेणे पायावच्चे उसमे य॥ ९८॥ गंधव अग्गिवेसे सयवसहे आयवे य अममे यो अणवं भोमे वसहे सव्वद्वे रक्खसे चेव ॥९९॥ १५३ करणं भंते! करणा पं०?, गो०! ॥ ॥ श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
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