Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 206
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिई णक्खत्ते किंगोत्ते पं०?,गो०! भोग्गल्लायणगोत्ते, मोगल्लायण संखायणे य तह अग्गभाव कण्णिल्ले। तत्तो य जाउण्णे धणंजए चेव बोद्धव्वे ॥१०४॥पुस्सायणे य अस्सायणेय भगवेस अग्गिवेसे १० योगोयम भारदाए लोहिच्चे चेव वासिढे ॥ १०५॥ ओमज्जायण मंडव्वायण पिंगायणे य गोव्वले। कासव कोसिय २० दुब्भाय चाभरच्छाय सुंगा य ॥ १०६॥ गोवल्लायण तेगिच्छायणे य कच्चायणे हवइ मूले। तत्तो य बझियायण वग्धावच्चे य गोत्ताई ॥१०७॥ एतेसिंणं भंते! अद्ववीसार णक्खत्ताणं अभिईणक्खत्ते किंसंठिए पं०?, गो०! गोसीसावलिसंठिए पं०, गोसीसावलि काहार सुउणि पुष्फोक्या वावी योणावा आसक्खंधग भग छुरघरए १० यसगडुद्धी ॥१०८॥ भिगसीसावलि रुहिरबिंदु तुल्ल वद्धमाण पडागापागारे पलिअंके हत्थे २० मुहफुल्लए चेव ॥ १०९॥ खोलग दामणि एगावली य गयदंत विच्छु अयले यो गयविक्रमे य तत्तो सीहनिसाई य २८ संठाणा ॥११०११६०॥ एतेसिंणं भंते! अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभिइणक्खत्ते कतिमुहत्ते चन्देणं सद्धि जोगं जोएइ?, गो०! णव मुहत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभाए मुहुत्तस्स चन्देणं सद्धिं जोगं जोएइ, एवं इमाहिं गाहाहिं अणुगन्तव्वं अभिइस्स चंदजोगो सत्तढिखंडिओ अहोरतो ते हंति णव मुहुत्ता सत्तावीसं कलाओय ॥१११॥ सयमिसया भरणीओ अद्दा अस्सेस साइ जेट्ठा यो एते छण्णक्खत्ता पण्णरसमुहुत्तसंजोगा ॥११२॥ तिण्णेव उत्तराई पुणव्वसू रोहिणी विसाहा यो एए छण्णक्खत्ता पणयालमुहत्तसंजोगा ॥११३॥ अवसेसा णक्खत्ता पण्णरसवि हुँति तीसइमुहुत्ता। चंदंमि एस जोगो णक्खत्ताणं मुणेअव्वो॥ ११४॥ एतेसिंणं भंते! अहावीसाए ॥श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र। | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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