Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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|| बाहं परिवहंति, सोलस देवसहस्सा हवंति चंदेसु चेव सूस्सु। अद्वैव सहस्साई एक्के कमी गहविमाणे ॥१२६॥ चत्तारि सहस्साई|
णक्खत्तम य हुवंति इक्विक्के । दो चेव सहस्साई तारारुवेकमेकसि ॥१२७॥ एवं सूरविमाणाणं जाव तारारूवविमाणाणं णवरं एस देवसंघाए॥१६८॥एतेसिंणं भंते! चंदिमसूरिअगहणनक्खत्ततारारूवाणं कयरे सव्वरिन्धगई कयरे सव्वसिग्धगतितराए चेव?, गो०! चन्देहितोसरा सव्वसिग्धगई सूरेहिंतो गहा गहेहिंतोणखत्ताणक्खत्तेहिंतो तारारूवा सव्वष्यगई चंदा सव्वसिग्धगई तारारूवा ॥१६९॥ एतिसंणं भंते! चंदिमसूरिअगहणक्खत्ततारास्वाणं कयरे सव्वमहिद्धिआ कयरे सव्वप्पड्डिआ?, गो०! तारारूवेहितो णक्खंत्ता महिद्धिआ णक्खत्तेहितो गहा महिद्धिा गहेहिंतो सूरिआ सूरेहितो चन्दा महिद्धिआ सव्वपिद्धिआ तारारुवा सव्वमहिद्धिया चन्दा॥ १७०॥ जम्बूद्दीवेणं भंते! ताराए ताराए य केवइए अबाहाए अंतरे पं०?, गो०! दुविहे अंतरे वाघाइए य निव्वाघाइए य, निव्वाघाइए जहणणेणं पंचधणुसायाइं उक्कोसेणं दो गाऊआई, वाघाइए जहण्णेणं दोण्णि छावटे जोयणसए उक्कोसेणं बारस जोअणसहस्साई दोण्णि य बायाले जोअणसए तारारूवस्स २ अबाहाए अंतरे पं० ॥१७१॥ चन्दस्स णं भंते! जोइसिंदस्स जोइसरण्णो कइ अगमहिसीओ पं०? गो०! चत्तारि अग्गमहिसीओ पं० २०-चन्दप्यमा दोसिणाभा अच्चिमाली पभंकरा, ताओ णं एगमेगाए देवीए चत्तारि २ देवीसहस्साई परिवारो पं०, पभूणं ताओ एगमेगा देवी अन्नं देवीसहस्सं विउवित्तए, एवामेव सपुव्वावरेणं सोलस देवीसहस्सा, सेत्तं तुडिए, पहू णं भंते! चंदे जोइसिंदे जोइसराया चंदवडेंसए विमाणे चन्दाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए तुडिएणं सद्धिं महयाहयणगीअवाइअ जाव | ॥श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र।
२०८
पू. सागरजी म. संशोधित
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