Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 207
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir णक्खत्ताणं अभिईणक्खत्ते कति अहोरत्ते सूरेण सद्धिंजोगंजोइए?, गो०! चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते, सूरेण सद्धिं जोगंजोएइ, एवं|| इमाहिं णेयव्वं अभिइ छच्च मुहुत्ते चत्तारि य केवले अहोरते । सूरेणं समं गच्छइ एत्तो सेसाण वोच्छामि ॥११५॥सयमिसया भरणीओ अहा अस्सेस साइ जेहाय वच्चंति मुहुत्ते इक्कवीसं छच्चेवऽहोरत्ते ॥११६॥ तिण्णेव उत्तराई पुणव्वसू रोहिणी विसाहायोवच्चंति मुहुत्ते तिण्णि चेव वीसं अहोरते॥११७॥अवसेसा णक्खत्ता पण्णरसविसुरसहगया जंति बारस जेव मुहुत्ते तेरस यसमे अरोहत्ते ॥११८॥ १६१॥ कति णं भंते! कुला कति उवकुला कति कुलोवकुला पं०?, गो०! बारस कुला बारस उवकुला चत्तारि कुलोवकुला पं०, बारसकुला तं०-णिठाकुलं उत्तरभद्दवया० अस्सिणी० कत्तिया० मिगसिर० पुस्सो० मघा० उत्तरफागुणी० चित्ता० विसाहा० मूलो उत्तरासादाकुलं मासाणं परिणामा होति कुला उवकुला उ हेट्ठिमगा होति पुण कुलोवकुला अभीइ सय सद्द अणुराहा॥११९॥ बारस उवकुला तं०-सवणो उवकुलं पुव्वभहवया० रेवई० भरणी० रोहिणी० पुणव्वसू० अस्सेसा० पुव्वफग्गुणी० हत्थो० साई० जेहा० पुव्वासाढाउवकुलं, चत्तारि कुलोवकुला,तं०-अभिईकुलोवकुलंसयभिसया० अदा० अणुराहाकुलोवकुलं, कतिणं भंते! पुण्णिमाओ कति अमावासाओ पं०?, गो०! बारस पुण्णिमाओ बारस अमावासाओ पं० २०-साविट्ठी पोढवई आसोई कत्तिगी मगसिरी पोसी माही फग्गुणी चेत्ती वइसाही जेट्ठामूली आसाढी, साविटिण्णं भंते! पुण्णमासिं कति णक्खत्ता जोगं जोएंति?, गो०! तिण्णि णक्खत्ता जोगं जोएंति, तं०- अभिई सवणो धणिट्ठा, पोट्ठवइण्णं भंते! पुण्णिमं कइ णक्खत्ता०?, गो०! तिणि तं०-सयभिसया पुव्वभहवया ||श्री जंबूदीप प्रज्ञप्ति सूत्र॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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