Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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||तया णं केमहालए दिवसे भवइ केमहालिया राई भवइ ?, गो०! तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ चाहिं एगसटिमागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ चाहिं एगसहिभागमुहुत्तेहिं अहिए, एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तयाणंतराओ मंडलाओ तयाणंतर मंडलं संकममाणे २ दो दो एगसहिभागमुहुत्ते एगमेगे मंडले रयणिखेत्तस्स निवुद्धेमाणे २ दिवसखेत्तस्स अभिवुद्धेमाणे २ सवमंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, जया णं सूरिए सव्वबाहिराओ मंडलाओ सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ त्या णं|| सव्वबाहिरं मंडलं पणिहाय एगेणं तेसीएणंराइंदिअसएणं तिण्णि छावढे एगसट्ठिभागमुहत्तसए रयणिखेत्तस्स णिवुद्धत्ता दिवसखेत्तस्स अभिवद्धता चारं चरड़, एसणं दोच्चे छम्मासे एसणं दुच्चस्स छम्मासस्स पजवसाणे एस णं आइच्चे संवच्छरे एस णं आइच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे १९३५। जया णं भंते ! सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ त्या णं किंसंठिआ तावखित्तसंठिई ||पं०?, गो ! उद्धीमुहकलंबुआपुप्फसंठाणसंठिआ तावखेत्तसंठिई पं० अंतो संकुआ बाहिं वित्थड। अंतो वट्टा बाहिं पिहला अंतो अंकमुहसंठिआ बाहिं सगडुद्धीमुहसंठिआ उभओ( प्र०अवहीं पासेणं तीसे दो बाहाओ अवडिआओ हवंति पणयालीसं २ जोयणसहस्साई आयामेणं, दुवे यणंतीसे बाहाओ अणवडिआओ हवंति, तं०-सव्वब्भंतरिया चेव बाहा सव्वबाहिरिया चेव बाहा, तीसेणंसव्वब्भतरिया बाहा मंदरपव्वयंतेणं बाहा मंदरपव्वयंतेणं णवजोयणसहस्साइं चत्तारि छलसीए जोयणसए णव यदसभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं, एसणंभंते ! परिक्खेवविसेसेकओ आहिएत्ति वाजा?, गो०!जेणंमंदरस्स परिक्खेवे तं परिक्खेवं तिहिं गुणेत्ता दसंहिं छेत्ता दसहिं ॥श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र॥]
| पू. सागरजी म. संशोधित
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