Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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जाणविमाणे विउव्वित्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह, तए णं आभिओगा देवा अणेगखंभसय जाव पच्चप्पिणंति, तए णं ताओ|| अहेलोगवत्थव्वाओ अ दिसाकुमारीमहत्तरियाओ हद्वतुट्ठ० पत्तेयं २ चाहिं सामाणियसाहस्सीहिं चाहि य महत्तरियाहिं जाव अण्णेहि बहूहिं देवेहिं देवेहि य सद्धिं संपरिवुडाओ तं तं दिव्वं जाणविमाणं दुरुहंति त्ता सव्विड्डीए घणमुइंगपणव०पवाइअरवेणं ताए उक्कीटाए जाव देवगईए जेणेव भगवओ तित्थगरस्स जम्मणगरे जेणेव जम्मणभवणे तेणेव उवाच्छन्ति त्ता भगवओ तित्थयरस्स जम्मभवणं तेहिं दिव्वेहिं जाणविमाणेहिं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेंति त्ता उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाए ईसिं चउरंगुलमसंपत्तं धरणिअले ते दिव्वे जाणविमाणे ठविति त्ता पत्तेयं २ चहिं सामाणियसहस्सेहिं जाव सद्धिं संपरिवुडाओ दिव्वेहितो जाणविमाणेहितो पच्चोरुहति त्ता सव्विद्धीए जावणाइएणं जेणेव भगवं तित्थयरे तित्थयरमाया य तेणेव उवागच्छन्ति त्ता भगवं तित्थयरं तित्थयरमायरं च तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेंति त्ता पत्तेयं २ करयलपरिग्गहियं० सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु एवं क्यासी णमोत्थु ते रयणकुच्छिधारिए! जगप्पईवदाईए सव्वजगमंगलस्स चक्खुणो य मुत्तस्स सव्वजगजीववच्छलस्स हिअकारगमगदेसियपागिद्धिविभुपभुस्स जिणस्स गाणिस्स नायगस्स बुहस्स बोहगस्स सकललोगनाहस्स सव्वजगमंगलस्स निम्ममस्स पवरकुलसमुब्भवस्स जाईयखत्तियस्स जं सि लोगुत्तमस्स जणणी धण्णा सि तं पुण्णा सि कयत्था सि अम्हे णं देवाणुप्पिए ! अहेलोगवत्थव्वाओ अट्ठ दिसाकुमारीमहत्तरियाओ भगवओ तित्थगरस्स जम्मणमहिम करिस्सामो तण्णं तुब्भाहिं " भाइयव्वं इतिकट्ट उत्तरपुरस्थिम दिसीभागं अवकमंति त्ता ॥ श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
| पू. सागरजी म. संशोषित
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