Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 163
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महाबले महायसे महाभागे महासोक्खे सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसए विमाणे सभाए सुहम्माए सक्कंसि सीहासणंसि से णं तत्थ/ बत्तीसाए विमाणावाससयसाहस्सीणं चउरासीए सामाणियसाहस्सीण तायत्तीसाए ायत्तीसगाणं चउण्हं लोगपालाणं अट्ठण्हं अग्गभहिसीणं सपरिवाराणं तिण्हं परिसाणं सत्तण्हं अणियाणं सत्तण्हं अणियाहिवईणं चउण्हं चउरासीणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसिंच बहूणं सोहम्मकप्पवासीणं वेभाणीयाणं देवाण य देवीण य (प्र० अण्णे पढंति अण्णेसिं बहूण देवाण य देवीण य अभियोगिउववण्णगाणं) आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महयरगत्तं आणाईसरसेगावच्चं कारेमाणे पालेमाणे महयाहयणट्टगीयवाइयतंतीतलतालतुडियषणमुइंगपडुपडहपवाइअरवेणं दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजमाणे विहर३, तए णं तस्स सकस्स देविंदस्स देवरण्णो आसणं चलइ, तए णं से सक्के जाव आसणं चलियं पासइ त्ता ओहिं पउंजइ त्ता भगवं तित्थयरं ओहिणा आभोएइ ना हट्टतुट्टचित्ते आणदिए नंदिए पीइभणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसम्पमाणहियए धाराहयक्यंब (प्र०नीपसुरभि )कुसुभचंचुपालइअऊसवियरोमकूवे वियसियवरकमलनयणवणे पचलियवरकडगतुडिअकेअरमउडे कुण्डलहारविरायंतरइयवच्छे पालंवपलंबमाणथोलंतभूसणधरे ससंभमं तुरियं चवलं सुरिंदे सीहासणाओ अब्भुट्टेइ त्ता पायपीढाओ पच्चोरुहइत्ता वेरुलियवरिटुरिट्रिअंजणनिउणोविअमिसिमिसिंतमणिरयणमंडियाओ पाउयाओ ओमुअइत्ता एगसाडियं उत्तासंगं करेइ त्ता अंजलिमउलियग्गहत्थे तित्थयराभिमुहे सत्तट्ट प्याई अणुगच्छइ त्ता वामं जाणुं अंचेइ त्ता दाहिणं जाणुं धरणीयलंसि सा(प्र०नि )हट्ट तिक्खुत्तो मुद्धाणं धरणियलंसि निवेसे( प्र०वाडे )३ | ॥श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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