Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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णच्यासपणे पाइदूरे सुस्ससमाणे जाव पज्जुवासइ, एवं जहा अच्यस्स तहा जाव ईसास्सवि भाणियव्वं, एवं भवणवइवाणमन्तरजोइसिया य सूरपज्जवसाणा सएणं परिवारेणं पत्तेयं २ अभिसिंचंति, तए णं से ईसाणे देविंदे देवराया पञ्च ईसाणे वेउव्वइ त्ता एगे ईसाणे भगवं तित्थयरं करयलसंपुडेणं गिण्हइ त्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे सण्णिसण्णे एगे ईसाणे पिटुओ आयवत्तं धरेइ दुवे ईसाणा उभओ पासिं चामरुक्खेवं करेंति एगे ईसाणे पुरओ सूलपाणी चिट्ठइ, तए णं से सक्के देविंदे देवराया आभिओगे देवे सदावेइ ना एसोवि तह चेव अभिसेआणत्तिं देइ तेऽवि तह चेव उवणेति, तए णं से सक्के देविंदे देवराया भगवओ तित्थयरस्स चउहिसिं चत्तारि धवलवसभे वेउव्वेइ सेए संखदलविमलनिम्मलदधिषणगोखीरफेणश्यणिगरप्यगासे पासाईए दरसणिजे अभिरूवे पडिरूवे, तए णं तेसिं चउण्हं धवलवसभाणं अट्ठहिं सिंगेहिंतो अट्ठ तोयधाराओ णिग्गच्छंति, तए णं ताओ अट्ठ तोयधाराओ उद्धं वेहासं उम्पयंति एगयओ मिलायंति त्ता भगवओ तित्थयरस्स मुद्धाणंसि निवयति, तए णं से सक्के देविंदे देवराया चउरासीईए सामाणियसाहस्सीहिं एयस्सवि तहेव अभिसेओ भाणियव्यो जाव णमोऽत्थु ते अहओत्तिकटु वंदइ णमंसइ जाव पज्जुवासइ।१२३।। तए णं से सक्के देविंदे देवराया पंच सके विउव्वइत्ता एगे सक्के भयवं तित्थ्यरं कयलपुडेणं गिण्हइ एगेसक्के पिट्ठओ आयवत्तं धरेइ दुवे सक्का उभओ पासिं चामखेवं करेंति एगे सक्के वजपाणी पुरओ पगडद, एणं से सक्के चउरासीईए सामाणियसाहस्सीहिं जाव अण्णेहि य भवणवइवाणमंतरजोइसवेमाणिएहिं देवेहिं देविहि यसद्धिं संपरिवुडे सव्विद्धए जावणाइअरवेणं ताए उक्किद्वाए | ॥श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
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