Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 162
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तेणेव उवागच्छंतित्ता भगवं तित्थय तित्थ्यरमायरंचसीहासणे णिसीआर्वितिला अभिभोगे देवेसहाविति त्ता एवंवयासी खिप्यामेव|| भो देवाणुप्पिया! चुल्लहिमवन्ताओवासहरपव्वयाओ गोसीसचंदणकट्ठाईसाहरह, तए णते आभिओगा देवा ताहिं रुअगमज्झवत्थव्वाहिं| चाहिं दिसाकुमारीमहत्तरियाहिं एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठा जाव विणएणं वयणं पडिच्छन्ति ता खियामेव चुल्लहिमवन्ताओ वासहरपव्वयाओ सरसाइं गोसीसचंदणकट्ठाईसाहरंति, तए णं ताओ मज्झिमरुअगवत्थव्वाओ चत्तारि दिसाकुमारीमहत्तरियाओ सरगं करेंति त्ता अरणिं घडेति त्ता सरएणं अरणिं महिंति त्ता अग्गिं पाडेंति त्ता अग्गिं संधुक्खंति त्ता गोसीसचंदणकटे परिक्खिवंति त्ता अग्गिं उज्जालंति त्ता समिहाकट्ठाई पक्खिविंति त्ता अग्गिहोम करेंति त्ता भूतिकम करेंति त्ता रक्खापोट्टलियं बंधति त्ता/ णाणामणिरयणभत्तिचित्ते दुवे पाहाणवट्टगे गहाय भगवओ तित्थयरस्स कण्णमूलंमि टिट्टियाविति भव भयवं ! पव्वयाउए २, तए णं ताओरुअगमज्झवत्थव्वाओ चत्तारि दिसाकुमारीमहत्तरियाओ भयवं तित्थ्यरं करयलपुडेहिं तित्थ्यरमायरं च बाहाहिं गिण्हंति त्ता|| जेणेव भगवओ तित्थ्यरस्स जभ्मणभवणे तेणेव उवागच्छंति त्ता तित्थ्यरमायरं सयणिजसि णिसीयाविंति त्ता भयवं तित्थ्यरं माउए पासे ठवेंतित्ता आगायमाणीओ परिगायमाणीओ चिटुंति ११५ोतेणं कालेणं० सक्के णाम देविंदे देवराया वजपाणी पुरंदरे सयकऊ सहस्सक्खे मघवं पागसासणे दाहिणद्धलोकाहिवई बत्तीसविमाणावाससयसहस्साहिवई एरावणवाहणे सुरिंदे अत्यंबरवत्थरे आलइयमालमउडे नवहेमचारुचित्तचंचलकुण्डलविलिहिज्जमाणगंडे (प्र० गल्ले) भासुरवरबोंदी पलंबवणमाले महिद्धीए महज्जुईए ॥श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225