Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 159
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie || वेउव्विअसमुग्धाएणं समोहणंति त्ता संखिज्जाई जोयणाई दंडं निसरंति, तं०-रयणाणं जाव संवगवाए विउव्वंति त्ता तेणं सिवेणं| म3एणं मारुएणं अणुद्धएणं भूमितलविमलकरणेणं मणहरेणं सव्वोउअसुरहिकुसुमगन्धाणुवासिएणं पिंडिमणिहारिमेणं गन्थुद्धएणं | तिरिअंपवाइएणं भगवओ तित्थ्यरस्स जम्मणभवणस्स सव्वओ समन्ता जोअणपरिमंडलं से जहाणामए कम्मारदारए सिया जाव तहेव जंतत्थ तणं वा पत्तं वा कटुं वा क्यवरं वा असुइमचोक्खं पूइयं दुब्भिगंधं तं सव्वं आहुणिअ२ एगते एडेंति त्ता जेणेव भगवं तित्थयरे तित्थयरमाया य तेणेव उवागच्छंति त्ता भगवओ तित्थयरस्स तित्थयरमायाए य अदूरसामंते आगायमाणीओ परिगायमाणीओ चिटुंति ११३। तेणं कालेणं० उद्धलोगवत्थव्वाओ अ दिसाकुमारीमहत्तरियाओ सएहिं २ कूडेहिं सएहिं २ भवणेहिं सएहिं २ पासायवडेंसएहिं पत्तेयं २ चाहिं सामाणिअसाहस्सीहिं एवं तं चेव पुत्ववण्णिअंजाव विहरंति, तं०-मेहंकरा मेहवई, सुमेहा मेहमालिनी। सुवच्छ। वच्छभित्ता य, वारिसेणा बलाहा ॥७१॥तए णं तासिं उद्धलोगवत्थव्वाणं अट्ठण्हं दिसाकुमारीमहत्तरियाणं पत्तेयं २ आसणाई| चलंति एवं तं चेव पुव्ववण्णियं भाणियलं जाव अम्हे णं देवाणुप्पिए ! उद्धलोगवत्थव्वाओ अट्ठ दिसाकुमारीमहत्तरियाओ जेणं भगवओ तित्थगरस्स जम्मणमहिमं करिस्सामो तेणं तुब्भाहिं ण भाइअव्वंतिकट्ठ उत्तरपुरस्थिमं दिसीभागं अवक्कमंतित्ता जावअब्भवद्दलए विउव्वंति त्ता जावतं निहयरयं णद्वरयं भद्वरयं पसंतरयं उवसंतरयं करेंति त्ता खिप्यामेव पच्चुवसमंति एवं पुष्पवद्दलंसि पुष्पवास वासंति त्ता जाव कालागुरुपवर जाव सुरवराभिगमणजोगं करेंति त्ता जेणेव भयवं तित्थ्यरे तित्थ्यरमाया य तेणेव उवागच्छंति त्ता | ॥श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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