Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Jambuddivpannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 349
________________ अमणुण्णतरिया-अरतिरति ८३३ अमणण्णतरिया (अमनोज्ञ तरका) प १७११२३ से १२५,१३० मे १३२ अमणुण्णत्त (अमनोज्ञत्व) प २८१२४ अमणूस (अमनुष्य) प २१७२ अमम (अमम) ज २।५०,१६४,४।१०६ २०५, ७१२२६३ सू १०८४।३ अमयमेह (अमृतमेघ) ज २६१४४,१४५ अमर (अमर) प २१३०,३१,४१, २०६४।२१; ज०७१, ३।३५,१०६,१३८ अमरपति (अमरपति) ज ३१३१ अमरवइ (अमरपति) प २१४५२ ज ३।३.१८, ६३,१८० अमल (अमल) ज ४।२६ अमाइसम्मपिठिउववण्णग (अमायिसम्यक दृष्ट्यु पपन्नक) प १७४२७,२६ अमाइसम्मद्दिठी (अमायिसम्यकदष्टि) प१५।४६; ३४।१२,३५॥३ अमाइसम्महिठी उबवण्णग(अमायि सम्यकदृष्ट्युप पन्नक) प १७।२७ अमाण (अमान) ज २१६८ अमाय (अमाय) ज २१६८ अमावासा (अमावास्या) ज ७।१२५,१३७,१४७, १४८.१५०,१५१,१५४,१५५, सू १०७,२३ से २६,१३६,१३७,१४८ मे १५१,१५७ से १६१, १३.१ से ३,६, अमिज्ज (अमेय) ज ३११२,२८,४१,४६,५८,६६, ७४,१४७,१६८ २१२,२१३ अमित्त (अमित्र).ज ३।२२१ अमिय (अमृत) प २१६४११६ अमिय (अमित) प२१४०१७ ज ७१७८ अमियवाहण (अमितवाहन) प २१४०१७ अमिलाय (अम्लान) ज ३।१२,२८,४१,४६,५८, ६६,७४,१४७,१६८,२१२,२१३ अमिलाव (अमिलाप) ज ४१२३८ अमूढदिदिठ (अमूढदृष्टि) | ११०१।१४ अमोहा (अमोहा) ज ४११५७।१ अम्मता (अम्बा) उ ४१११ अम्मया (अम्बा) उ १२३४,४०,४३,७४, ३६८, १०१,१३१ अम्मा (अम्बा) प १११३,१८ उ १७१,७३,८८ अम्मापिइ (अम्बापितृ) उ राह अम्मापियर (अम्बापितृ) उ ११६३ ; ३११२६,१२८ ४।११,१४,१५,१६, २७,३८ अम्ह (अस्मत्) प ११३ ज ५।३ सू ११२० उश१५ अय (अज) प.१६४; ११।१६ से २० ज २१३४, ३५७।१८६।३ अय (अयस्) प १२०१ ज १७ अयकरय (अजकरक) ज ७:१८६।२ स २०१८,८।२ अयखंड (अयस्खण्ड) प ११।७४ अयगर (अजगर) ११४६८,७२ ज २०४१ अयगोल (अयोगोल) ११४८१५६ अयण (अयन) ज २१४,६६७१२६,१२७ सू ६.१८१११३७,६,१२ से १४ अयदेवया (अजदेवता) स १०।८२ अयमाण (अयमान) ज ७१२०,२३,२६,२८ सू १११४,१६,२१,२४,२७, २॥३,६६१,१३११ १४॥३,७ अयल (अचल) ज ३७६,११६ अयसिकुसुम (अतसीकुसुम) प १७।१२४ अयसी (अतसी) ५११४५२२।३१ ज १३७ अयाणंत (अजानत्) प १।१०१५ अयोझ (अयोध्य) ज ३१३५ अयोमुह (अयोमुख) प ११८६ अर (अर) ज ३१३५ अरइ (अरति) प २३७७ जं २७० अरजा (अरजा) ज ४१२१२ अरणि (अरणि) ज ५११६ उ ०३१५१ अरण्ण (अरण्य) ज २२६६,१३१ अरति (अरति) प २३१३६,१४५ अरतिरति (अरतिरति) प २२०२० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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