Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Jambuddivpannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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व्हाण-तछु
Vi व्हाण (ष्णा) पहाणे
ज २१०० हाति
व्हाणपीढ ( स्नानपीठ ) upta ( स्वानमण्डप) व्हाण मल्लिया
पहाता ( स्नात्वा ) २२६६
हा ( स्नात ) सू २०१७
व्हाय ( स्नात) ज ३१५८,६६,७४,७७,८२,८५,
१२५,१२६, १४७, १५३३ १११६,४२, ७७, १२१,१२२,१२६; ३१२६, ११०, १४१, ४ १२, १८५११७
हारु ( स्नायु ) ज २११३३, ३१२४ हा (स्वापय्, स्नपय् ) वेद ३।११४ व्हावेता (स्नप स्वापति) ज २२१००
१६७ व्हार्णेति
२१६६
३१६,२२२ ३१६,२२२
(स्नानमल्लिकापुट) ज ४।१०७
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त
त (तत्) प १११ सू १।११।१
इ (तृतीय) प ३२१ ६८०११; १५६१४३
३|१३५११ ; ४१५६, १७, १४२३७११०८, १५८ चं ४/३ सू ११८३ उ २२२२३१६८ ४|१
तया ( तृतीया) ज ७।१२५ १० १४८, १५० तहविह (ततिविध ) प १५५६
उखंड (खण्ड ) प ११७४ तय ( क ) प ११२ १
उस ( स ) प ११४४८३१११६ खीरा तमिजिया (त्रसमिनिका ) प ११५० उसी (पु) १११ खीरा की लता ए ( ततस् ) ११४ २८३।११,२३१३ ओ (तत्) ३४१ से ३,३६१७७,६२ उ ३।५१.५३,४४,२६,१०७,११०,१३६; ४१२१
तंजा (११२
तंड (ट) ५१५७
तंडुल (ल) नंत (तान्त ) उ ११५
२१२६८५१५८३ ३१५१
dar (तन्त्रक) प ११५१
तंती (तन्त्री ) प २३०, ३१, ४१, ४६ ज ११४५ ; २२६५,३३८२, १८५ से १८७, २०४,२०६, २१८५११, १६७१५५, ५८,१६४ सू १८।२३; १६।२३,२६
तंतु (तन्तु) ज ३|१०६
तंतुवाय (तन्तुवाय) प ११६७ तंदुल ( तण्डुल ) उ ३१५१ तंदुलमच्छ ( तण्डुलमत्स्य ) प १३५६ तंदुलेज्जग (तन्दुलीय) प ११४४|१ वायविडंग, चोलाई का साग
तंब (ताम्र ) प १।२०।१२।३१; १७११२५ ज २११५;३११३८११
तंबकरोड (ताम्र करोडय' ) प १७ १२५ तं खंड (ताम्रखण्ड ) प ११७४
बकरण (ताम्रादिकरण ) प १७ १३४ तंबधिवाडिया (ताम्र' छिवाडिया' ) प १७।१२५ तंबिय (ताम्रिक ) उ ३।५०, ५५ तंस ( स ) प ११४ से ६; १०३१५, १६ तक (तत्) ज ३६५,१५६ तक्करबहुल ( तस्कर बहुल ) ज १।१८ तक्कलि (तकिल ) प १।४३११ चक्रमर्द वृक्ष,
९३१
चकवड
तगरमेला ( तगरमेल 1 ) ज ३।११।३
तगरपुड ( तगरपुट) ज ४११०७
तच्च (तृतीय) प ३।१८३; २१/६०; ३३ । १६; ३६/१२ ज ७ । १६२ सू १११४, १६, १७, २१ उ ११३९, ४०, ११५, ११६; ३।१, २,२३,५४,६०,६१,७७, ७८,८७,६८,१०८
तच्चा (तृतीया) सू १२ । २१
तच्छण (तक्षण ) ज २१७०
तट्ट (दे०, स्थल ) प २८
तट्ठ ( त्रस्त ) ज ७।१२२/२ सू १०/६४१२ तदेवया ( त्वष्टृदेवता ) सू १०१८३ तट्ठ (त्व) ज ७११३०,१८६४
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