Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Jambuddivpannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text ________________
वहिदसा-वय
१०३७
२५.
वहिदसा (वृष्णिदशा) उ ११५,६:५११ से ३ वदित्ता (उदित्वा) ज ३।१२५ वित्त (वर्तय) बत्तइस्सामि प ३।१८३ वर्तेति बद्ध (वर्ध) ज ३।३५ प ३६१६२
वद्धमाण (वर्धमान) प २।३० ज ३३२ वत्तमंडल (वृत्तमण्डल) ज ३११७८
बद्धमाणग (वधानक) ज २१६४,३।३,१२,१७८%; वत्तव्व (वक्त०) ज ४।२६६७।१४१ से १४५, ४।२८,५:३२, ७।१३३१२ २०८,२०१६ १५० से १५२,१५४,१८६ सू१०।२० से २२ वद्धमाणगसंठिय (बद्ध मानकरा स्थित) सू १०१४१
वद्धमाणय (वर्धमानक) ज ३।१८५ बत्तन्वया (वक्तव्यता) प २।४०,४४,५११५२,
वहाव (वर्धय्) बद्धावेइ ज ३।५,२६,३६,४७, २०५,२४४१११८०१५।१८ ज ३११५०.
५६,६४,७२,९०,१३३,१४५,१५१,१५७ १६१,२७७,४१५३,६४,७५,७६,८३,८६,६०,
उ १।११० वद्धाति ज ३।११४,१२६,१३८, ६२,१०६,११५,१२६,२००,२०५,२०७,२२८,
२०५,२०६ उ १११२२५४१७ वद्धावेहि २४०,२४६,२६२,२६८,२७७,७११०२
उ १११०७ वस्थ (वस्त्र) प २१३०,६१,४१,४६ से ५४;
बद्धावेत्ता (व त्वा) ज ३१५ उ १५१०७ १५५५१२, १७११६ ज ३१६,११,१२,२६,
वध (वध) उ ३१४८,५० ३६,४७,५६,६४,३२,७८,८१,८५,११३,१३३,
वप्प (वत्र) ज ४१३,२५,२१२,२१२।३,२५१ १३८,१४५,१६७।६,१८०,२९१ सू २०१७,
वरपगावई (वप्रकावती) ज ४।२१२।३ उश१६,३५:३१५१,५३,६३,६७,७०,
बप्पावई (वप्रावती) ज ४।२११
वष्पिण (दे०), २१४,१३,१६ से १६,२८ वत्थधर (वस्त्रधर) ज २१६१५१४८
वमण (वमन) उ ३।१०१ वत्थव्व (वास्तव्य) ज ५१ से ३,५ से ७
वममाण (वमत् ) उ ३३१३० वत्थारुहण (वस्मारोहण, वस्त्रारोपण) ज ३।१२,८८
बमिय (वमित,वान्त) उ ३।१३०,१३१,१३४ वस्थि (वस्ति) ज २१५, ३१११७
वम्म वमन्) ज ३३१ वत्थिकम्म (वस्तिकर्मन) उ ३११०१
वम्मिय (अमित) ३७७,१०७,१२४ उ १११३८ वस्थिपुडग (दे०) उ ११४४ से ४६
। बय (पच्) बुच्चइ च २११ वोच्छं प २१६४११८ वस्थिभाग (वस्तिभाग) ज ३१११६ वत्थु (वस्तु) १४१५ ज ३१३२७।१०१,१०२
बिय (द्) यएज्जा ज ७।३१ सू १०११० श्यंति सू १०।१:१५॥१,३७
ज श६५१,६४ वयह उ ३.१०३;४११४ व मि वत्थुपरिच्छा (वस्तुपरीक्षा) ज ३।३२
उ १७६ कामो सू ११२०-यासी जशक्षा वत्थुप्पएस (वस्तृप्रदेश) ज ३।३२
२१६४,६०,६५,६७,१०१,१०५,१०७,१०६, वस्थुल (वास्तुक) प १।३७।२,३८।२,४४०१
१११,११४,३१५,७,१२,१८,२१,२६,२८,३१ ज २०१०
से ३४,३६,४१,४७,४६,५२,५६,५८,६१,६४, विद (वद) वदा र ३१७७ वदंति सू २०१२
६६.६६,७२ ७४,७६.७७,५३,६०,६१,६६, वदह ज ३।११३:५७२११२४ बदामो १०५,१०७,११३ से ११५,१२४,१२५,१२७, मू५११ वदिस्थति ज २११४६ वदेज्जा
१२८,१३३,१३८,१४१,१४५,११,१५४, सू ६३१२
१५७.१६४,१६८,१७०,१७३,१७५,१८०,१८५,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617