Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Jambuddivpannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text ________________
विज्जुपविद्ध
हि (वि) ज ४।२१५ रज्जुप्पहार (युत्प्रभवक्षस्कार ) ज ४।२०५ विज्ह (विमुख ) प १८६ विषेश (वि) ज २१३१,४ । २११ ;
शर
दिज्जु ( () विज्जुयाति ज ५७ विज्gare (विद्युत्यत्वा ) ज ५७ विज्झडिय (३०, मिश्रित ) ज २।१३३ विज्झिडियमच्छ (सिडिय मत्स्य ) प १।५६ विद्धि (विष्टि ) ५११२३ से १२५ fastu (f) ७२१७८ विडिय (२० प ) २४६ ४१४६ विमिंदर (६०, पिटपान्तर ) ज २०१६ दिड्डा (त्रीडा) ११५८,८३ विण (निप्ट) ज २११०३.१०४ विर्णामि (निमि) ३११३७,१३८,१३६ विजय (विनय ) प १११०१।१० ज ११६, २२६०, ६०,१३३, ३१८,१३,१९५३,६२७०,७७,८४, १००,१४२.१४७,१६५, १८१,१८६,१९२
२०५,२०६२१३५११५,२३,५८,६६,७३ यू २०१६ उ १११६,४५,५५,५६.६७ ८०,०३,१०८.११६,१२०,३११२० विणास (नाम) प १७४
विभासण (विजन ३८८१०९५७ विनियमं (विच्छा) ३११०६ विणित (त्) ११३७३।१२,
६८४१५८
वणी (वणी) वि२०४६ वर्णेति उ ११३४ निमि १।७४ विणीला ( विनीतः) ज ३११८२ विणीय (त्रित) उ५१४०, ४१ footer (२/१६,६५,३११२७,८, १४,८७,८५,१०६,१७२, १७३, १८०, १८३ से
ܬܘ &o3 ex Po,> ?, ?, . ܔܔ
२१२२२०२६१२४११०० विore (विशक) २०१२७, १२७३५४४३
Jain Education International
√ विष्णव (वि + ज्ञपय् ) विष्णवे उ ११०१ बिष्णवणा (विज्ञान) उ ३३१०६ विगविज्जना (विज्ञप्यमान ) उ१।१०२ विवि (विज्ञपयितुम् ) उ १६६ विve (विष्णु) ज ७।१३०,१८६१३ faughar (foदेवता ) सू १०१७९ वितत (वि) ज ५३२, ५७ तिपक्खि (तितपक्षिन् ) प १७७,८१ वित्त ( वितृप्त ) सू २०१८,२०1८1८ वितत्य ( वित्रस्त ) सू २०१८, २०१८ तिथि ( वितरित) ज २१६
वितिमिर (वितिभिः ) प २/६३३६६३,९४ वितिरितराग (वितिमिरतरक) ५१७ १०८, ११० वित्त (वित्त) ज ३११०३, ५५८
वित्त (वेव) ज ३ | १०६
विति (वृत्ति) ज १११३.३०,३३,३६,२११३४;
४२
वित्थड (विस्तृत) ज ३।११७,७१३०,३१,३३ मु ४५३, ४, ६, ७,१६/२२११५ वित्थय (विस्तृत) ज ३१३२,१०६ विस्थर ( विस्तर) ज २।१३४ fararves (विताररुचि ) प १।१०१।१,६ वित्थिष्ण (ती) प २२५०,४६,५८ ज ११२४, २८ ३१२१,५१४ विदिशा (विदिशा ) ज ४११०६,१५५,२०४,२१०, २१२.२३५.२३७५।१२
विदिसि (विदिश् ) प ३६।७०,७२ ज ५।१२ विसिवाय (विदित) ५१।२६ विदेह (देह) प ११६३३,६४१११।१२६, १३३ विदेहजंबू (विदेहजम्बू) ज ४११५७।१ विदुम (वि) ज ३।३५ वि (विद्ध) ज ३।२५
(ध्वंस)
१०४५
:
For Private & Personal Use Only
विद्धरोहित सरदर
१११७२२८१४०,४३,६६
२११५१
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617