Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Jambuddivpannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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१०७२
सविसय-ससि
सविसय (स्वविषय) प १११६७,६८,२८८१७,१८, ज ४।१०७:५३५,७ सू १६०२,१२,२६,२८ ६३,६४ ज ७४६
सव्वत्थ (सर्वत्र) प २१३२:२११३५,४२,२२।२५; सविसेस (सविशेष) ज २१६:४११५६७७,६६, ३६।४७ ज ३।१०६४।५७,१८३;७।३७,१९७ ६० सू १८१६ से १३
सू१८३७ उ १२२ सवेद (सवेद) २८११४०
सव्वदरिसि (सर्वदशिन्) ज २७१५२१ सवेदग (भवेदक) प ३९७
सव्वपाणभूतजीवसत्तसुहावहा (सर्वप्राणभूतजीवसवेदय (गवेदक) १८१५६
सत्त्वसुखावहा) प २६४ सधेयग (सवेदक) प ३६७
सम्वप्पभा (सर्वप्रभा) ज ५११११ सव्य (सर्व), ११२ ज १७ चं ११२ सू १।१०।। सव्वबल (सर्वबल) ज ३।१२,७८,१८०,२०६; उ१९७०
५१२२,२६ सव्वओ (मर्वता) प १७११०६ से १११,२८।११,
सध्वम्भंतराय (सर्वाभ्यंतरक) सू १११४ २८।२१,६७ ज १७,६,२३,३५४१३,२१०,
सव्वभाव (सर्वभाव) ज २१७१ २१४,२४१,२४२ मु ३११ उ ५८
सव्वरयण (सर्वरत्न) ज ३.१६७,१७८ सत्वोभद्द (सर्वतोभद्र) ज ३.३२,५।४६६३
सव्वसिग्धगइ (सर्वशीघ्रगति) ज ७।१८० सध्वंग (मङ्गि)ज१५ उ ११२३,६१
सवसिग्घगइतराय (सर्वशीघ्रगतितरक) ज ७।१८० सवकज्जवड्ढाक्य (सर्वकार्यवर्धापक) उ ३।११
सव्वसिद्धा (सर्वसिद्धा) ज ७।१२१ १०६१ सव्व सामसमिद्ध (सकामसमृद्ध) ज ७११७६१
सम्वहेट्ठिम (सर्वाधस्तन) सू ६३ मु १०।८६१
सध्याउय (सर्वायुष्क) ज २१८८३।२२५ सव्वकालतित्त (सर्वकालतृप्त) प २१६४।२०
सव्वामयणासिणी (सर्वामयनाशिनी) ज ३११३८ सव्वक्खरसंनिवाइ (सर्वाक्षरसन्निपातिन्) ज २१७८
सविदिय (सन्द्रिय) ज २०१८ सव्वक्खरसंनिवाति (सर्वाक्षरसन्निपातिन्) ज ११५ सव्वखुड्डाय (सर्वक्षुद्रक) सू १११४
सम्वोउय (सर्वर्तुक) ज २११२३१३०,३५,२२१:५१५
उ ५११६ सम्वग्ग (सर्वाग्र) ज ४।६,१४,१४६,२५६;७१६८, १६६,२०१,२०३,२०५,२०७ ।।
सम्वोहि (सर्वावधि) प ३३।३१ से ३३ सध्वज्जुणसुव्वणमती (सार्जुनस्वर्णमयी) प २१६४ । ससंभम (ससम्भ्रम) ज ३१६:५।२१ राव (सर्वार्थ) ज ७।१२२ सू १०१८४।३
ससक्कर (सशर्कर) ज ३।१०६ सव्वट्ठसिद्ध (सर्वार्थकसिद्ध) ५६।११०
ससग (शशक) प १.६६ ज २११३६ सव्वाद्ध (सर्वार्थ सिद्ध) प १११३८, २१६३;
ससबिंदु (शश बिन्दु) प १४०।५ ६२६,६२,२०।६१२११७७ उ ५१४१
ससय (शशक) प ११२१ सव्वळसिद्ध ग (सर्वार्थसिद्धक) प ४।२६७ से ससरीरि (सशरीरिन्) प २८।१४१
२६६,६:४३, ७:३०;१५।६०,६३,१०१,१०६, ससरुहिर (शशरुधिर) प १७११२६ १०८,११४,११५,११७,१२०,१२१,१२३, ससि (शशिन्) ५ २१३१ ज २११५, ३१६,१७,२१, १२५,१२८,१२६,१३२,१३६,१४३,२०.४६% २८,३४,४१,४६,६३,१०६,१३६.१५७,१६३, २८१६७
१६७।१२.१७७,२२२,७।११२७१६८.१ सवण्णु (मत्रज्ञ) ज २०७१,५१२१
सू १०1७७,१२६।२१९।८।२,१६।२२।३,२३, मन्बतो (सर्वतस् ) प २१६४।१३:२८१२१,३३,६७, २६.२६,३१,२०१४
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