Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Jambuddivpannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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१०५६
संघरिलसमुट्ठिय ( संघर्ष समुत्थित ) प १२६ संघाइम ( संघातिम) ज ३१२११
संघाड (संघाट ) प ११४८६२ संघाय (संघाटक ) उ ३३१००,१३३ / संघात ( सं ! - घातय् ) संघातेंति सू १।१८ संघाय (धात) प ११४७।२, ३ ज ७ १७८ / संघाय ( सं घाय् ) संघाएंति प ३६।६२ संचय (मंत्र) ज २११६; ३११६७११४ संचाय (क) संचाए उ ११५२३।१०६ २०।१७.१८,३४ संचाएमि
!.
उ १६५३।१३१ संचाएमा उ १९६६ संचाहि उ ३।१३०
संचारिम (मंत्रा) ३।११७
v संचिट्ठ ( सं ! ष्ठा) चिट्ठइ उ ११३८, ३३५६ विषि १८:३७६
संचि ( सञ्चित ) प २३।१३ से २३ ज ३।२२१ संछष्ण ( संछन्न) ज ४१३, २५
संजत (संत)
३|१०५; ६।६७, १८, २१।७२;
३२।६।१
संजता संजत (संयतासंयत ) प ६ ९८ २१ ७२;
३२/१,३
संजता संजय ( संपतासंयत ) प ३२|४
संजम (संयम ) प १|११७ ज ११५२२८३३।३२११
उ ११२, ३, ३२६,३१,६६, १३२ ५।२६ संजय (यव) प ३२१११,१०५६ ६८ १७ २५, ३०,३३; १८ १११, १८१८६२१।७२; २६११०६।१, २८११२८ ३२।१ से ४,६६१ संजया संजय ( संयतासंयत ) प ३।१०५; ६१६७;
१७।२३,२५,३०,१८१६१,२१।७२:२२।६२;
२८११३०३२।१,२,६
संजण ( पंज्वलन ) प १४ ७ २३ ३५ संजणा ( संज्वलना) प २३|१८४
संजा (जत) व ३।१११,१२५ ११८६ संजाय उहहत ( संजातकौतूहल ) ज ११६ संजाय संसय ( संजात संशय ) ज ११६
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संघ रिसस मुट्ठिय-संठित
संजायसढ (मंजातश्रद्ध) ज १६ संजुत्त (संयुक्त) प १५ ५७
संजोग (संप्रग) प २१।१।१ ज ५।५७७ । १३४१२,३ संजोय ( संयोग ) प ११८४; १६२१५ संजोयणाहिकरणिया (संयोजनाधिकरणिकी) प २२/३
संझन्भराग ( सन्ध्याराग ) प १७ १२६ संझा ( सन्ध्या ) प २।४०।११
संठाण ( संस्थान ) प ११४ से ६, ४७।१२१२० से २७,३०,३१,४१,४८ से ५०,५४,५८ से ६०, ६४,६४११,४,५,६,१०।१५ से २४,२६ से ३०,१५/१३१,१५।२ से ६,१८,१६,२१,२६, ३०,३५,२१।१।१,२१।२१ से ३७.५६ से ६२, ७३,७८ से ८०, १४; २३ । १००, १६०, ३०१२५, २६; ३३।१११,३३१२१ से २३,३६१८१ ज ११५, ७, ८, १८, २०,२३,३५,५१,२११६,२०,४७, ८६,१२३,१२८,१४८, १५१,१५७, ३१३,६५, १५६,४११,३६,४५, ५५, ५७,६२,६६,७४,८४, ८६,६१,६७,६८,१०१, १०२, १०३, १०८, ११०, १६७,१७८, २१३, २४२, २४५ ७ ३१,३२/१, ३३,३५,५५,१२७११, १२६११,१३३३३.१६७११; १६८२,१७६ चं ३१२ सू ११७/२,१११४;
१०१६ १३।१७ १८१८ उ ११३ संठाणओ ( संस्थान तत् ) प १५ से ६ संठाणतो ( संस्थागतस् ) प ११७ से 8 संठाणणाम ( संस्थाननामन् ) प २३३८, ४६ संठाणपज्जव ( संस्थानपर्यव) ज २२५१,५४, १२१,
१२६,१३०,१३८, १४०, १४६, १५४,१६०,१६३ संoाणपरिणाम ( संस्थानः रिणाम ) प १३ २१,२४ संठाणा (दे०) सू १०१६,६२,६७,६८,७५,८३, १०३,१२०,१३१ से १३३१२/२० मृगशिरा
नक्षत्र
संठि ( संस्थिति) ज ७।३१,३३,३५ चं २ १३ १, ५।१११६११,१।७११, ११६३१
संठित (संस्थित) प २२० से २७,३०,३१,४१,..
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