Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Jambuddivpannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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अंतसंभंत-भद्द
२१३ उ ११४,६,८,२१,२४,२५,१४१,१४३; भट्टिदारय (भर्तदारक) ५ १११५,२० २।१,३,१३,१५,३।१,३,८,१६,१८,२०२३, भट्ठरय (भ्रष्ट रजस्) ज ५१७ २६,३० से ३२,३५ से ४१,४४,८६,८८,६३, भट्ठि (दे०) ज २६१३१ ६४,१२३ से १२५,१५२,१५४.१६४,१६५, भड (भट) ज ३१७,२१,२२,३६,७८,१७७ १६७,४१,३,१४,२६,५१,३,२०,२२,२३, भडग (भटक) प १६ ३२,४०,४३
भिण (भण्) भणइ उ ३१६६ भणंति प १७८९ भंतसंभंत (भ्रान्तसम्भ्रान्त) ज ५।५७
मणित (भणित) प ११४८१६,४७,श६३।६, २१४०%; मंभा (दे०) ज ३१३१
३॥१८२, ५१२४४;६।५६,६६,८३,८६,६२, भंभाभूय (भंभाभूत)ज २१३१,१३६
१००१५५५, २१७७ सू १०.१४८, २०१७ मक्खेय (भक्ष्य) उ ३३३७ से ४२
मणितम्व (भणितव्य) सू ८१११०१४८,१५०%; मग (भग) ज ७।१३०,१३३,१८६।४ सू १०६३५ १५ भगंदर (भगंदर) ज २१४३
मणिय (भणित) प ११४८१५२:२।२७१३,४७; भगदेवया (भगदेवता) सू १०८३
६४।४६.८,५१५२,११५८०१२।१३,१५, भगव (भगवत्) प ११॥३,३६८१ ज ११५,६; २१,१५।१८,३०,१४०,१६३१८,१७७,६७;
२१६८,७०,७२,९०,६३,६५,६६,१०१ से । २०१२६,३५,२११७६,६४:२२।५४:२३११००, १०३,११३,११४; ५५३,५,७ से १४,२१,२२, १०८,१५६,१७६,१८१,१८५,१६०२४१८,६; २६,४४,४६,५८.६०,६२,६४,६७ से ७०,७२ २९१५,३६।२०,२४,४६ ज २०४१३,२११५; से ७४७।२१४ च १० सू ११५ २०६६ ३।१०६,१३८,१६७।३,४,४१२०० चं ४।३ उ १२,४ से ८,१६,१७,१६ से २६,१४२, सू१८१३,१०।१५०,१६।२२।१,२। १४३;२।१ से ३,१० से १२,१४,१५,२१,३३१ भिण्ण (भण्) भण्णइ प ५२२६ ज ७।१४६ से ३,७,८,१६,२०,२२,२३,२६,८७,५८,६०, भण्णति प ५।२०५ भण्णाति प ५।२०५,२११; ६३,१५३,१५४,१५६,१६१,१६६,१६७,१७०%;
३६६८ ४।१ से ३,२७; ५।१ से ३,४४
भत (भक्त) ज २२६५,७१,८८,३२२५ उ २।१२; भगवंत (भगवत् ) प २।६४ ज २१६६.७१,८३
३.१४,१२०,१५०,१६१,१६६५२८,३६,४१, ५१.२१ उ १.१७
भत्तपाण (भक्तपान) ज ३१०३,२२४ भगवती (भगवती) सू २०६१ भगसंठिय (भगसंस्थित) सू १०३५
भत्तसाला (भक्तशाला) ज ३1३२
भत्ति (भक्ति) ज ३।१६७/६ भगिणी (भगिनी) ज २।२७,६६
भत्तिचित्त (भक्तिचित्र) प २।४८ ज ११३७, भग्ग (भग्न) ५११४८१० से २६ उ ३६१३१,१३४ भग्गवेस (भार्ग वेश) ज ७१३२।२ सू १०११००
२।१०१,३।३६,१२,५६.८८,१०६,११७, भज्जमाण (भज्यमान) प ११४८।३८
१४५,२२२,४१२७,४६५१६,२८,३२,३४, मज्जा (भार्या) ज २१२७,६६ उ १११२,१४५;
५६ सू१८१८१६२२।१,२ २१५,१७
भत्तिय' (दे०) प १।४२११ भज्जिय (भजित) उ ११३४,४६,७४
भद्द (भद्र) प २१३१ ज २१६४८१:३१३,१२,५६, भट्टित्त (भर्तृत्व) प २१३०,३१,४१,४६ ज ११४५; ८८,११७,१३८,१८५,२०६४।४६,५।२८;
३।१८५,२०६,२२१; ५।१६ उ ५।१० १. वनस्पति कोष में भूतीक शब्द मिलता है।
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