Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Jambuddivpannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 505
________________ परिसकर-पुव्ववेयाली ५१५,१५ से १८ पुरिसकार (पुरुषकार) गु २०६।३ पुरिसक्कार (पुरुपकार) ५ २३११६,२० ज २०५१, ५४,१२१,१२६,१३०,१३८,१४०,१४६,१५४, १६०,२६३,३।१२६,१८८,७१७८ म २०११ पुरिसच्छाया (पुरुपच्छाया) ज २२,२५ मु २।३ पुरिसजुग (युरुपयुग) ज २८४ परिसवरगंधहस्थि (पुरुषवरगन्ध हस्तिन ) ज १२१ पुरिसवरपुंडरीय (पुरुष रपुण्डरीक) ज ५१२१ । परिसलिगसिद्ध (पुरुषङ्गिनिद्ध) ५१११२ पुरिसवेद ( पुरुषवेद) प १८१६१,२३३१४२,१८७; २८।१४० परिसवेदग (पुरुषवेदक) प ३३९७:१३।१४,१८,१६ पुरिसवेय (पुरुषवेद) प २३:१६,७४,८४,१४४ पुरिसबेयग (पुरुषवेदक) T१३।१५ पुरिसवेयपरिणाम (पुरुषवेदपरिणाम) प १३.१३ पुरिससीह (पुरुषसिंह) ज ५।२१ पुरिसादाणीय (पुरुषादानीय) उ ३।१२,२६,७६ ४।१०,११,१३,१४,१६ परिसोत्तम (पुरुषोत्तम) ज ५२१ पुरोष (पुनीप) उ ३३१३०,१३१,१३४ पुरेक्खड़ (पुरस्कृत) प १५८३ से ८५,८७,८६ से १०१,१०३ से १०६,१०८ से ११०,११२ से १२३,१२५ से १३२,१६५ से १४३,३६८ से पुव (पूर्व) प १६।२१:३६१६२ ज २१४,१६१; ३११८५,२०६,२२१,४।१३५,२३८७१३८, २१२ च ११३ सू ३।१:८।११८।१,२१ उ ११६६,१०६,११०,११३,११४ पुत्वंग (पूर्वाङ्ग) ज २४,७११७१ सु८११; १०१८६१ पुचंभाग (पूर्वभाग) गु १०१४,५ पुवकोडाकोडि (पूर्वकोटिकोटि) ज ३११८५,२०६ पव्वकोडि (पूर्वकोटि) प ४११७७,१०६,११३.११५, ११६,११८,११६,१२१,१३१,१३३,१३७,१३६, १४०,१४२,१४६.१४८:१८।४,६०,८१,८४, ८६.६६:२३७८,७६,१४७,१५८,१६२,१६५, १६६ ज २।१२३,१५१:३।१८५,२०६४।१०१ पुब्बग (पूर्वक) ११।४६ पुचितिय (पूरचिन्तित) उ ३१७६ पुषण्णस्थ (पूर्वन्यस्त) ज ५१४२ पुवण्ह (पूर्वह्नि) ज २०७१,८८ पुव्वदारिया (पूर्वद्वारिका) सू१०।१३१ पुब्बपडिवण्ण (पूर्वप्रतिपन्न) उ ३.८१,८२ पुब्बपोट्ठवया (पूर्वप्रीष्ठादा) मू १०।६४ पुब्बफग्गुणी (पूर्वफल्गुनी) ज ७१२८,१२६,१३६ पुदभद्दवया (पूर्वभाद्रपदा) ज ७।१२८, १२६,१३६, १३६,१४२ सू १०१६ पुत्वभव (पूर्वभव) उ ३१६,२१,२६,१४६,१५६, १६६,१७१४।५,२८ पुब्वभाव (पूर्व भाव) प २८१६८ से १०१ पुब्दरहतगुणसेढीय (पूर्वरचितगुणश्रेणिक) प ३६।६२ पुस्थरत (पूर्वर.) उ ११५१,६५,७६,३१४८,५०, ५५,५७.६६,७२,७५,७६,६८,१०६,१३१ पुववण्णिय (पूर्ववणित) ज २।५२,१६१,३११७१; ४।६६,१०१,१०६,१६०,२३७,२४३,५६,७; ७।३५,१६७ पुनविदेह (पूर्वविदेह) प १६।३०१७३१६१ __ज २१६, ४।६६,६६,२१३,२६३११ पुन्ववेयाली (पूर्व 'वेयाली') प १६१४५ पुरेडिय (पुरस्कृतक) प १५३५८१२ पुरोहियरयण (राहिसार) ज ३३१७८,१८६, १८८,२०६,२१०,२१६,२१६,२२० पुरोहियरयणत (पुरोहितल) २०५८ पुलग (दुलक) ११५८ ज १५:१५ पुलय (पुलक) : १।२०।४ ज ३.३५ पुलाकिमिया (दे०) प १४६ पुलिद (जिन्द) ११८६ पलिदी (हिन्दी) ज ३३१११२ पुलिण (पुलिन) ज ४।१३ । २०१७ पुलिय (पुलित) ज ३।१७८,७।१७८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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