Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Jambuddivpannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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६८०
१८,३५,९३,१०९, १८०,२२२, २२३,७११७८ पसय (दे० ) प ११६४ ज २१३५
पसर ( प्र + सु ) पसरइ उ ३५१ सरई ११०१७
पसरिता (मुख्य) उ ३१५१
पसव (प्र+सू) पसति ज २०४९ / पसार ( प्रसारय् ) पसारे उ३।१२ पसासेमाण (प्रशासवत्) ज ३१२५२१११ पसिण ( प्रश्न) ज ७।२१४४३२९ परिय (प्रमुख) ज ३३५
पसु (पशु) प ११:४३३६,४८,५० पसूय ( प्रसूत) ज ३११०६ उ ३।४८, ५०, ५५ फ्लेटो (श्रेणी) ज ५३२
पसेणइ ( प्रसेनजित् ) ज २२५६,६२
पलेणी (प्रणी) ज ३११२,१२,२८,२९,४१,४२, ४९, ५०, ५८,५६,६६,६७, ७४, ७५, १४७, १४८, १६८, १६६१७८, १०६१८८२०६,२१०, २१६,२१६,२२१
यह (पथ) ज २९१८४,१८८२१२.२१३५।७२, ७३ १६।२२।१५ ३ १६८ पहंकरा (भरा) ज ४२०२१२
पहकर (दे०) ज २०१२६५:२०१७,२१,१७७ पहगर (दे० ) ज ३१२२,३६,७८ पहत ( प्रहत ) ज २।१३१
पहरण (प्रहरण) ज ३१३१,३५,७७, १०७,१२४, १६७१९, १७८४११३७ उ ११३८ पहरणरयण (प्रहरणरत्न) ४३१३५ पहराया (भाराशिका प्रहारातिगा ) प १२८ पहव (प्रभव) प ११।३०
पहसिया (प्रहसित ) प २२४६ ११४२,४४, २२१७११७६ सू १८३८
पहा (प्रभा ) प २०३१ ज ११२४
,
पहाण (प्रधान) ज २।१५,६४,१३३३३३,३२, ११७१.१३८, १७५३ ७ १७५
पहार (प्रहार) ३|१०६ २०१३१,१३४
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सय उन्भूय
V पहार ( प्र + धारय् ) पहारेत्थ ज २६; ३, १८३१८८
पहारेमाण ( प्रधारयत् ) प ३४१२४ पहाविय ( प्रधावित) ज २०६५
पहिय ( प्रथित) ज ३१७,१८,२१,११,१३,१७७.
१८०
पहीण (प्रहीण ) ज २२८८३२२५
यह (प्रभु) ज ७११६१२
पाई (पाची ) प १२४४१
मरकतपत्री
पाइक्क (दे०) ज २२६५
पाईण (प्राचीन ) प २०१०,५० से ५२.५४ से ६२ ज १२०,२१ से २५,२८,३२,४८३११, १२६।४४।१, ३,५५,६२,६१,८६,८८,६८, १०२. १०६,१४१,१६२.१२७.१२.१७२,
१७८१८५,१८,१११, २००.२०३२०५ २१५,२४५, २४१, २५१,२६२, ६८, १३१०१. १०२८११
पाईप डिणायता (प्राचीनापाचीनायता ) सू १।१६६
२।११०३१४२, १४७, १२/३० पापडीणायता (प्राची- पाप चीनायता ) प २५० से ६२ १२०
पाण पडणाया (प्राचीनापाचीनायता ) ज ११२०;
३११,४१,२,८६,८०,१८,१०० पाणवाय (प्राचीनवात) प ११२१
पाउण ( प्र + आप ) पाउण उ ३११४:५३६ पाउणति प ३६९२ पाउस ५१४३ पाणिता ( प्राप्य ) प १६१२२२२२५ २।१२:३।१४४।२४ : ५१२
पाउपाय (प्रभात) ३१६६३१४८ ५०५५,६३,६७,७०.७२,१०६,११८
√ पाउब्भव ( प्रादुन् । भू ) पाउदभभतिज ५।२७ ५।२२,२६१।१२१
उभाउ ३।२६ पाउन्भविवा
ज ३३१०४ पाउभविस्य ज २।१४१ से १४५ पाउन्भवमाण ( प्रादुर्भवत् ) ज ५२८ पाय (प्रादुर्भुत)
३११०५.११३.१२५:
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