Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Jambuddivpannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 381
________________ एगवयण-एत ८६५ एगवयण (एकवचन) प ११३८६,८७ ५०,५७,६४,७५,७६,७६,८०,८५,९४; एगविह (एकविध) ५ २१३,६,९,१२,१५,२२१८३, २२।२५,८२,२३।४०,८५,१३४,१३५,१३७ ८४,८६,२४।१० से १२:२६१२,४,६,८ से १० से १४०,१४२,१४३,१५०,१५६,१५६; एगवीस (एकविंशति) १४।२,६१ सू २३ २४।१३:२६।४,५,६:२८.११२,२८१६८,६६, एगसट्ठि (एकषष्टि) ज ७७ १०२,१०६,११२,११५.११६,१२३,१२६, एगस ट्ठिभाग (एकषष्टिभाग) ज ७१२७,२६,३०, १२७,१२६,१३२,१३३,१३७ से १४१,१४३; ६६.७२,७५ ३४१५,१४,३५७,३६०५६,६६ ज ३।१६७१५, एगसदिठमाय (एकषष्टिभाग) ज ७.६५,६६,७१, १७८ ७२,७५,७७ एगिदियरयण (एकेन्द्रियरत्न) ज ३११७८,२२०; एगसटिठहा (एकषष्टिधा) ज०७२१,२२,२४,२५ ७।२०५,२०६ एगसत्तर (एकसप्तति) ज ४११६६ सू १२११२ एगूणणउद (एकोननवति) ज ७१४ एगसमइय (एकसामायिक) प ३६।६०,६७,६८, । एगणणउति (एकोनवति) ज २१८८ सू ११२७ ७१,७५ एगणतालीस (एकोनचत्वारिंशत्) सू २१३ एगसमइयद्वितीय (एकसमयस्थितिक) प ५।१४६, एगूणतीस (एकोनत्रिंशत् ) प ४१२८५ सू २३ १४७,१११४१ एगूणपण्ण (एकोनपञ्चाशत् ) ज २०४६ सू २।३ एगसमयठितीय (एकसमयस्थितिक) प ३१३८१ एगणवण्ण (एकोनपञ्चाशत् ) प ४६८ एगसाडिय (एकशाटिक) ज ३१६:५२१ एगणवीस (एकोनविंशति) प ४१२५७ ज ७१४ एगसिद्ध (एगसिद्ध ) प ११२ सू१।१० एगसेल (एकशेल) ज ४११६६,१६७ एगणवीसइ (एकोनविंशति) ज ११८ एगसेलकूड (एकशेलकूट) ज ४।१६८ एगूणवीसइभाग (एकोनविंशतिभाग) ज ११२३; एगागार (एकाकार) पश६०,७२,७३,८०,८१, ४।८१,६०,६८,१६६ ८४;१३.२०,२१७२२३०५१ से ५३,५५,५६, एगणवीसइभाय (एकोनविंशतिभाग) ज १११८,२०, ज ४१२५६ एगारस (एकादशन्) ज ३।१ ४८,४६८,२००,२०१ एगावण्ण (एकपञ्चाशत् ) ज ७।२० एगणवीसति (एकोनविंशति) ज २८८ एगावलि (एकावलि) ज ७१३३ एगूणसट्ठि (एकोनषष्टि) सू १२।६ एगावलिसठिय (एकावलिसंस्थित) सू १०॥५० एगणासीइ (एकोनाशीति) ज २१५६ एगासीति (एकाशीति) ज ३१३२ एगेंदिय (एकेन्द्रिय) प १२१५,३।४६ एगाहच्च (एगाहत्य) उ १२२,२५,२६,१४० एगोरुय (एकोरुक) प ११८६ एगाहय (एकाहिक) ज २।६,४३,७१२५ सूरा३ एज्जमाण (एजमान) ज ३४१०७ एगिदिय (एकेन्द्रिय)प १११४,४८,३१४० से ४२,४४, एज्जमाण (आयत्) उ १२२,८६,१४० ४६,१४१ से १४३,१८३;६।७१,८३,८६,६२, एज्जेमाण (आयत्) ज ४१३५,४२,७१,७७,६४ १००,१०२,१०७,११२; १०१३६:१११३६, एड (एड्) एडेइ ज ३१९८ एडेंति ज ५१५ ४१,८०,८४,१३।१६१५:१०३;१६२७, एउता (एलित्वा, एडित्वा) ज ५१५ १७।३६,५६,६०,६२,८७,१८।१४,२०; एणी (एणी) ज ३३१०६ २०१३५२१२ से ५,२२ से २५,३६,४०४६, एत (एतद् ) प १२० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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