Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Jambuddivpannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 440
________________ २४ पाणावणिज्ज (ज्ञानावरणीय ) प २२/२६, २७६ २३३१,३,६,७,६ से १३,२४,२५,६०,१३४, १३६.१५४,१५४, १६०,१६४, १६७, १७६, १७८,१०१,१६१,१९४ से १६६,२०२,२४०१ से ५, ८, १५:२५६१,२,२६।१ से ४,७,१२: २७/१ से ३ जाणाविध ( नानाविध) ज २२७:३।१८६ से १९२ जाणाविह ( नानाविध ) प ११४७।१२।४१ ज १।१३,२१,२६,१२,३७,४६, २०१२.५७, १२२,१२७, १४७, १५०, १५६, १६४३७, १०.१८४,१६२४६ ३५।३२ जाणि (ज्ञानिन् ) प १८७१ २३२०० २८।१३५ ज ५.१५, ४६ णाणोवउस (ज्ञानोपयुक्त) प ३६१२३, १४ णात ( ज्ञात ) प १।६५ नाम (नाम) ज २:१५ नाभि ( नाभि ज २५६,६२,६३४१२६०११ : ५८१३ णाभिणाल ( नाभिनाल ) ज ५३१३ णाम ( नामन् ) प १११०१।१० २।४८, ५० से ५२ ५४ से ५७,५९,६०,६२ से ६४,६४।१७, ११.३. |११|३३|१; २२१२८२३१,१२,३८ २४।१५ २६।११;२७।५;३६।८२, १२ ज ११२,३,५, १६, १८ से २०,२३,३५,४१,४५,४६, ४८, २१, २२८, १३,५१,५४,६० से ६३,१२१,१२६,१३०, १४१ से १४५, १४६, १५४, १६०, १६३, ३१, २,२६,३०,२५,३६,४७,५६,६७,१०२.१०६, १११, ११५.१३३.१४५, १६१, १६७/३, २२५, ४०१,३,२५,३१,३४, ४०, ४१, ४४, ४५,४६,५१, ५२,५५,५'१,६२,६४,६७,६८,७५,७६,८१,८४, ८६,८८,९२,६८,१०३, १०६, १०८, ११०,१४१, १४३, १५ से १६५, १६७ से १६१,१७२ से १७५, १८० से १८२, १८४, १८५ १८० १०८ १६०,११,१२३. १६४,१२६,१६७,१६९ से २०३,२०५ से २०६,२१०११,२१२.२१३, २१४,२२६,२३४, २३७, २३६ से २४२. २४५, २४६,१५१, २५२.२६१,२६२,२६५, २६६, Jain Education International णाणावर णिज्ज -पास २६८,२७२,२७४, २७७ ५११८,२८,४६, ५७; ७११४, २११.२१४ नं १ ४ १०।१२४; १२।२६११।२६.९.१२.१६२२४३,२८,३६ उ १११७ णामक ( नामक ) ज ३।२६,३६,४७,१३३,१३५ नाम ( नामक ) ज ४।२०० णामधेन्ज (नामधेय ) ज १२४७३२८१,२२१. २२६,४।२२,३४, ५४.६४, १०२, १०७, ११२, १५७२,१७७.२६०७११४,११७.१२० सू १०३८६,८८,१२४,२०१२ नामधेय (नामधेय ) ज ५२१ णामय ( नामक ) ज ११४६; २११७ ४ १०६, १६३, २०४,२१०,२११ णामसच्च (नामसस्य ) प ११०२३ णामसूरय (दे० ) सु २०१२ मायक (नामाहतक) ज ३१२६,३६,४७,१३३ णायग ( ज्ञायक ) ज ५।५,४६ णायय ( ज्ञातक) ज २१२६ गायव्य ( ज्ञातव्य ) प १३१०१०३.६.७.१.११: १६।१।२:३५।१।१ मारग (नारक) प १२२६२४११०, ११.२६६६ नाराय ( नाराच ) प २३२४५, ४६ ज ३२३, ३१ णारिकता ( नारीकान्ता) ४२६२६।२१ जारी (नारी) ज ३।१८६.२०४ पारीकंता (नागरीकान्ता) ज ४९२२६६ पारीकूड ( नारीकूट) ज ४।२६३।१ पाल (माल) ज ४1 णालबद्ध ( नालबद्ध ) प ११४८१४० णालिएरीवण ( नालिकेरीवन ) जरा गालिया ( नालिका) ज २१६ पालिया (नालिका, नाडीका) पं १०४०११ णाचा (नौ) प १६२४५ ज २२५००१,१५१. ७ १३३।११०३३३ भावागति (नीति) १६०३८, ४५ संठिय(नौति ५१०१३३ णात (नातू) वासेति २०१५ १५६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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