Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Jambuddivpannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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केस-कोडिग
८८५
कोट्ट्य (कोष्ठक) उ ३१६,१२ फोठ्ठसमुग्ग (कोठसमृद्ग) ज ३।१११३ कोट्ठसमुग्गयहत्यगय (हस्तगतकोप्टममुद गक)
ज ३।११ कोट्ठागार (कोप्ठागार) ज २१६४ उ ११६६,६४,
केस (केश) प १३१ ज २११३३,३।२६,३६,४७,
१२,११६ केसवठिअणह (केशापस्थितनख) ज ६।१३८ केस (कीदृश) ३।१२२ केसर (केस) प ११४८।४५,४६ ज ३।२४:४१३,
७,२५७१७८ केसरिइह (केसरिद्रह) ज ४२६२ केगलोय (केश-नोच) ३५४३ केसि (केशि) उशना२९ केसुय (fid.) ३१५ कोइल (काल) १५:३।३५ 3 ५५ कोइलच्छदकुसुम (पिछदकुसुम) प १७१२५ कोइला (विला) १७६ होउय ( क) MIR,3,८२,८५,१२५,१२६,
०२२७१।१६०,१२१३।११।१७ कोउहल कौतुहल ज १३२ कोऊहल ( ह) ग ५१२६ कोऊहरूवत्तिय (कौतुहल प्रत्य) ज २७ कोणग (कोकण) पश८६ कोंच (क्रौञ्च) प ११७६,८६ उ ५५ कोंचारव (क्रौञ्चारब) ज ३८६,१०२,१५६,१६२ घोंचस्तर (क्रौञ्चस्वर) ज २।१६,५।५२ कोंडलग (कुण्ड रक) २०१२ कोत (कुन्त) १३,३५ कोतिय (दे०) ज २१३६ लोमड़ी कोणद (कोकनद) प ११४६,११४८१४४ फोकासिय (दविकसित) ज ३११०६ कोकुइय (कांकुचिक) ज ३१७८ कोक लिय (द) ११६६,११५२१,२३ कोज्जय (कुमक) ३।१२,८८,२१५८ कोटेज्जमाण (कुटन) ज ४।१०७ कोट्टणी (दे०) ३१३२ कोट्ठ (कोष्ठ)ज ३।३२ कोट्ठग (कोष्ठक) प २३०,३१,४१ कोयुड (कोप्ठगुट) ज ४११०७ १. हे ० १।२६
कोडाोडि (काटिकाटि) प २१४६,५०,५२,५३,
५५,५६,६३ ; १२२७,३२,१८१४२,४४,४६, २३१६० से ६४,६६,६८,६६,७३ से ७७, ८१,८३,८५ से १२,६५ से १६,१०१ मे १०४,१११ से ११४,११६ से ११८, १२७,१२६ से १३१,१३३,१७६,१७७, १८२,१८३,१८६,१८७,१६० ज १६, ५१,५४,१२१,१२६,१५४,१६०,१६३,७११,
१७० कोडि (कोटि) प २३०,४६,५०,५२,६२,६३,६४
ज ११२०,२३,४८,०६, ३।२४,१७८,२२१; ४११,२१,५५,६२,८१,८६,६८,१०८.१७२, ५६८ से ७०६८।१७।१।
१ १।१४,१५, २१,१२१,१२२,१२६,१३३,१३६,१३७,१४०;
५११० कोडिकोडि (कोटिकोटि) यू १८१४१६६१११,५१३,
८।३,१११४,१५१४,१६।१६,२११५,८,
१६।२२।३.१६।३१,३५,३८ कोडिगार (कोटिकार) प १९७ कोडो (टि) सु १६५१४,१५।१,१८,२११२ फोडीवरिस (कोटिव) ५११६३१५ कोबिय (नट म्बिक) प १६४१ उ १।१७,१८,
६२,१२३,१३१,३१११,१०१४।१६,१७,
५।१०,१५,१६,१८ होतुक (कौतुक) मू २०१७ कोत्तिय (दे०) उ ३.५० कोत्थंभरि (कुस्तुम्बरी) ज ३१११६ कोत्यलवाहग (दे०) १५५० कोदंडिम (कुदण्डिम) ज ३।१२,२८,४१,४६,५८,
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