Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Jambuddivpannatti Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 413
________________ गोयम-घणघणाइय ६७ गोवल्ल (गोवल) ज ७/१३२१३ गोवल्लायण (गोवलायन) सू१०११०६ गोवल्ली (दे०) प १४०१४ गोसीस (गोशीर्ष) प १३०,३१,४१ ज २१६५, ६६,६६,१००,३७,६,१२,८२,८८,१३३, १८४,२११,२२२:५११४ से १६,५५,५८ गोसीसावलि (मोशीर्षावलि) ज ७।१३३११ गोसीसावलिसंठिय (गोशीविलिसंस्थित) सू१०।२७ मोहा (गोधा) १७६ गोहूम (गोधूम) ज २।३७:३।११६ ४५ से ५१;२११ मे ४,७,१४,१५,१७ से २३, २५,४२,४४ से ४८,५०,५२,५६ से ५८, १२२,१२३,१२७,१२८,१३१ से १३७,१३६, १४७,१५०,१५१,१५६,१५७,१५६,१६१, १६४:३११,६८,२०८४४१,२२,३४,४४,४५, ४८,५१,५२,५४ मे १६० से ३२,६४,७६, मे ८२,८४ से ८६,८६,६६ से ६८,१०० से १०० से १०३,१०५ से ११०,११३,११४,१४१,१४३, १५६ से १६७.१६६ से १७८,१८० से १८२, १८४,१८५,१८७,१८८,१६० से १९४,१६६, १६७,१६६,२००,२०२ से २१०,२१२ से २१४,२२५,२२६.२३४,२३६,२३७,२३६, २४१,२४५,२४६,२५१ से २७.१,६२,४,७ से २६१ से ३,३८ में ४८, २ ते ५७,, ५६ से १६८,१११ से १४४,१४७,१४८, १५०,१५४ से १६,१७० से १७८,१८० से १८५,१८७,१६७ से १६६,२०१ से २१३, च १० सू० ११५,१०११०२ उ ११२५,२६,२८, १४०,१४१:२११२.१३,३१८,६,१६ से १८, २६,२७,८५,८६,६३,६५,१२२ से १२५,१५२, १५७,१६३ से १६५,४१६,२५,२६ गोयम (गौतम) ज ७४१३२१२ गोयर (गोचर) ज २११३२ गोर (गौर) पु २४०१८,२१४६ ज १५ गोरक्खर (गौरखर) प १६३ गदर्भ की एक जाति गोलगोलच्छाया (गोलगोलच्छाया) सू ६।५ गोलच्छाया (गोलच्छाया) सू ६४,५ गोलपुंजच्छाया (गोलपुआच्छाया) सू ६३५ गोलवट्टसमुग्गय (मालवृत्तममृद्ग) २०१२०, ७।१८५ गोलवायण (गौलव्यायन) ज ७१३२।४ मू १०।११५ गोलावलिच्छाया (गोलाबलिच्छाया) सू ६५ गोलोम (गोलोमन) ५११४६ गोवग (गोपक) ज ३१३५ घओदय (घतोदक) प ११२३ घंटा (धण्टा) ब ११३७,३।३५,१७८४१३०%; ५।२२ से २६,२८,४८ से ५३७१७८ उ १।१३८,३७,६१ घंटिया (घण्टिका) ज २१६४,७११७८ घंटियाजाल (घण्टिकाजाल) ज ३१२४,३०,१०६; २८ घट्टणया (घनता) प१६१५३ घछ (प्ट) प|३०,३१,४१,४६,५६,६३,६४ ज १८,२३,३१ सू २०१७ घड (घट) ५२।३०,३१,४१ ज ३७,४१२३,३८, ६५,७३,६०,६१ घड (घटय घडति ज ५११६ घडावेता (घटयित्वा) उ ३.५० घड़िया (घटिका) ज ४११२६ घडेत्ता (घटयित्वा) ज ५११६ घण (घन) प १।४८।३८२१३०,३१,४१,४६%) १२।१२,३८; ज ११२४,४५,६५,३१३,२४, ८२,१६७,१८५,१८७,२०६,२१८,२२४; ४।१२५,५।१,५,१६,५७,६२,७१५५,५८, १७८,१८४ सू १८।२३;१६।२३,२६ घणघण (घनघन) ज २१६५ घणघणाइय (घनघनायित) ज० ५१५५७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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