Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 12 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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५३४
५३५-५३६
सोलहवां उद्देशा-- ५५ वायुकुमारों के आहार आदिका निरूपण
सत्रहवां उद्देशां-- ५६ अग्निकुमारों के आहार आदिका निरूपण
अठारहवां शतकका पहला उद्देशा ५७ अठारहवें शतक के उद्देशार्थ संग्रहिणी गाथा ५८ जीव से लेकर सिद्धों तक के प्रथमाप्रथमत्वका निरूपण ५९ प्रथमाप्रथमत्व में आहारद्वार का निरूपण ६० प्रथमाप्रथमत्व में भवाभवसिद्धिद्वार का निरूपण ६१ प्रथमाप्रथमत्व में संज्ञिद्वार का निरूपण ६२ प्रथमाप्रथमत्व में लेश्याद्वार का निरूपण ६३ प्रथमाप्रथमस्व में दृष्टिद्वार का निरूपण ६४ प्रथमाप्रथमत्व में संयतद्वार का निरूपण ६५ प्रथमापथमत्व में कपायद्वार का निरूपण ६६ प्रथमाप्रथमत्व में ज्ञानद्वार का निरूपण
प्रथमामथमत्व में योगद्वारका निरूपण
प्रथमाप्रथमत्व में उपयोगद्वार का निरूपण ६९ प्रथमाप्रथमत्व में वेदद्वार का निरूपण ७० प्रथमाप्रथमत्व में शरीरद्वार का निरूपण ७१ प्रथमाप्रथमस्व में पर्याप्तिद्वार का निरूपण ७२ चरमाचरमत्व में जीवादिद्वारों का निरूपण
दूसरा उद्देशा७३ कार्तिकशेठके चरमत्व का निरूपण ७४ कार्तिकशेठका दीक्षाग्रहण आदिका निरूपण
तीसरा उद्देशा७५ पृथ्वीकाय आदि जीवों के अन्तक्रिया का निरूपणम् ७६ अन्तक्रिया में जो निर्जरा पुद्गल है उनका निरूपण ७७ छद्मस्थ के संबंधमें भगवान से प्रश्नोत्तर ७८ बन्धके स्वरूप का निरूपण ७९ कर्मके स्वरूप का निरूपण ८० पुद्गलके आहार आदिका निरूपण
समाप्त
५३७-५३८ ५३९-५४९ ५५०-५५५ ५५६-५५८ ५५९-५६२ ५६३-५६५ ५६६-५६९ ५७०-५७१ ५७२-५७४ ५५५-५७६ ५७७-५७८
५७९
५८१-५८२ ५८३.५८४ ५८५-६०९
६१०-६२७ ६२८-६४१
६५०-६६७ ६६८-६७३ ६७४-६७९ ६८०-६८६ ६८७-६९१ ६९२-६९६
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૨