Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 03 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 26
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir आहारओ, भवसिद्धीओ जीवपदे एगत्तपुहुत्तेणं चरिमे नो अचरिमे, सेसट्टाणेसु जहा आहारओ, भवसिद्धीओ सव्वत्थ एगत्तपुहुत्तेणं नो | चरिमे अचरिमे, नोभवसिद्धीयनोअभवसिद्धीय जीवा सिद्धा य एगत्तपुहुत्तेणं जहा अभवसिद्धीओ, सत्री जहा आहारओ, एवं असत्रीवि, नोसन्नीनोअसन्त्री जीवपदे सिद्धपदे य अचरिमे, मणुस्सपदे चरमे एगत्तपुहुत्तेणं, सलेस्सो जाव सुक्कलेस्सो जहा आहारओ नवरं जस्स जा अत्थि, अलेस्सो जहा नोसनीनोअसन्त्री, सम्मदिट्ठी जहा अणाहारणो, मिच्छादिट्ठी जहा आहारणो, सम्मामिच्छादिट्ठी एगिंदियविगलिंदियवज सिय चरिमे सिय अचरिमे, पुहुत्तेणं चरिमावि अचरिमावि, संजओ जीवो मणुस्सो य जहा आहारओ, अस्संजआओऽवि तहेव, नवरं जस्स जं अस्थि, नोसंजयनोअसंजयनोसंजयासंजय जहा नोभवसिद्धीयनोअभवसिद्धीओ, सकसाई | जाव लोभकसायी सव्वट्ठाणेसु जहा आहारओ, अकसायी जीवपेद सिद्धेय नो चरिमो अचरिमो, मणुस्सपदेसिय चरिभो सिय अचरिमो, मणुस्सपदे सिय चरिमो सिय अचरिमो, गाणी जहा सम्भट्ठिी सव्वत्थ, आभिणिबोहियनाणी जावभणपज्जवनाणी जहा आहारओ नवरं जस्स जं अत्थि, केवलनाणी जहा नोसन्नीनोअसन्त्री, अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा आहारओ, सजोगी जाव कायजोगी जहा आहारओ जस्स जो जोगो अस्थि, अजोगी जहा नोसन्नीनोअसन्त्री, सागारोवउत्तो अणागारोवउत्तो य जहा अाहारओ, सवेदओ जाव नपुंसगवेदओ जहा आहारओ अवेदओ जहा अकसाई, ससरीरी जाव कम्मगसरीरी जहा आहारओ नवरं सज जं अस्थि, असरीरी जहा नोभवसिद्धीयनोअभवसिद्धीय, पंचहिं पजत्तीहिं पंचहिं अपज्जत्तीहिं जहा आहारओ, अव्वत्थ एगत्तपत्तेणं दंडगा भाणियव्वा, इमा ॥ ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित १६ For Private And Personal

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