Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 03 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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|२५ ३०२॥
___ कति णं भंते! संठाणा पं०?, गोयमा! छ संठाणा पं० २० - परिमंडले वट्टे तंसे चउरंसे आयते अणित्थंथे, परिमंडला णं भंते! संठाणा दव्वट्ठयाए किं संखेजा असंखेजा अणता? गोयमा! नो संखे० नो असंखे० अणंता, वट्टा णं भंते! संठाणा एवं चेव, एवं जाव अणित्थंथा, एवं पएसट्टयाएऽवि, एएसिं णं भंते! परिमंडट्टतंसचउरंसआयतअणित्थंथाणं संठाणाणं दव्वद्र्याए पएसट्टयाए दवट्टपएसट्टयाए करे जाव विसेसाहिया वा?, गोयमा! सव्वत्थोवा परिमंडलसंठाणा दवट्ठयाए वट्टसठांणा दव्वट्ठयाए संखेजगुणा चउरंससंठाणा दव्वट्ठयाए संखेजगुणा ससंठाणा दव्वट्ठयाए संखेजगुणा आयतसंठाणा दवट्ठयाए संखेजगुणा अणित्थंथसंठाणा दव्वट्ठयाए असंखेजगुणा, पएसट्टयाए सव्वत्थोवा परिमंडलसंठाणा पएसट्टयाए वट्टसंठाणा संखेजगुणा जहा दव्वट्ठयाए तहा पएसट्टयाएऽवि जाव अणित्थंथसंठाणा पएसट्टयाए असंखेजगुणा, दव्वटुपएसट्ठयाए सव्वत्थोवा परिमंडलसंठाणा दव्वट्ठयाए सो चेव गमओ भाणियव्यो जाव अणित्थंथसंठाणा दव्व० असंखे० दव्वट्ठयाए अणित्थंथेहितो संठाणेहितो परिमंडलसंठाणापएस० असंखे० वसंठाणा पएस४० संखे० सो चेव पएसट्टयाए गमओ भाणि० जाव अणित्थंथसंठाणा पएसट्टयाए असंखेनगुणा १७२५ । कतिणं भंते! संठाणा पं०?, गोयमा! पंच संठाणा पं०२० परिमंडले जाव आयते परिमंडला णं भंते! संठाणा किं संखेजा असंखेज्जा अणंता?, गोयमा! नो संखेजा नो असं० अणंता, वट्टा णं भंते! संठाणा किं संखेजाo?, एवं चेव, एवं जाव आयता, इभीसे गं भंते! ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
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