Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 03 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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णियंठे णं० पुच्छ। गोयमा! वड्डमाणपरिणामे होजाणो हीयमाण५० होना अवट्ठियपरिणामे वा होजा, एवं सिणाएऽवि, पुलाए णं|| भंते! केवइयं कालं वड्डमाणपरिणामे होजा?, गोयमा! जहन्नेणं एवं समयं उक्को० अंतोमु०, केवतियं कालं हीयमाणपरिणामे होजा?, गोयमा! जह० एवं समयं उक्को० अंतोमु०, केवइयं कालं अवट्ठियपरिणामे होज्जा?, गोयमा! जहन्नेणं एवं समयं उक्कोसेणं सत्त समया, एवं जाव कसायकुसीले, नियंठे णं भंते! केवतियं कालं वड्डमाणपरिणामे होजा?, गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, केवतियं कालं अवट्ठियपरिणामे होजा?, गोयमा! जहन्नेणं एक समयं उसेणं अंतोमुहत्तं, सिणाए णं भंते! केवइयं कालं वड्डमाणपरिणामे होजा?, गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, केवइयं कालं अवट्ठियपरिणामे होजा?, गोयमा!! जह० अंतोमु० उक्कोसे० देसूण पुवकोडी । ७७१। पुलाए णं भंते! कति कम्मपगडीओ बंधति?, गोयमा! आउयवज्जाओ सत्त कम्मप्पगडीओ बंधति, बउसे० पुच्छा, गोयमा! सत्तविहबंधए वा अविहबंधए वा, सत्त बंधमाणे आउयवज्जाओ सत्त कम्मपगडीओ बंधति, अट्ठ बंधमाणे पडिपुन्नाओ अट्ठ कम्मप्यगडीओ बंधइ, एवं पडिसेवणाकुसीलेऽवि, कसायकुसीले० पुच्छा, गोयमा! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा छव्विहबंधए वा, सत्त बंधमाणे आउयवजाओ सत्त कम्मप्पगडीओ बंधइ, अट्ठ बंधमाणे पडिपु-नाओ अट्ठ कम्मयगडीओ बंधइ, छबंधमाणे आउयमोहणिज्जवजाओ छक्कमप्पगडीओ बंधइ, नियंठे गं० पुच्छी, गोयमा! एगं वेयणिज कम्म बंधइ, सिणा५० पुच्छा, गोयमा! एगविहबंधा वा अबंधए वा, एगंबंधमाणे एगं वेयणिज कम्मं बंधइ । ७७२। पुलाए णं भंते! कति ॥श्रीभगवती सूत्र ॥
५. सागरजी म. संशोधित
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