Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 03 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 166
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir | से जहत्रेणं चउपएसिए चउपएसोगाढे उक्कोसेणं अनंत० तं चेव, तत्थ णं जे से घण चउरंसे से दुविहे पं० तं० ओयपएसिए य | जुम्भपएसिए य, तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहन्त्रेणं सत्तावीसइपए सिए सत्तावीसतिपएसोगाढे उक्को० अनंतपएसिए तहेव, तत्थ णं जे से जुम्मपए सिए से जहन्त्रेणं अट्ठपएसिए अट्ठपएसोगाढे उक्को० अनंतपए सिए तहेव, आयए णं भंते ! संठाणे कतिपदेसिए कतिपएसोगाढे पं०?, गोयमा ! आयए णं संठाणे तिविहे पं० तं० सेढि आयते पयराते घणायते, तत्थ णं जे से सेढिआयते से दुविहे पं० तं०-ओयपएसिए य जुम्मपएसिए य, तत्थ णं जे से ओयप० से जह० तिपएसिए तिपएसोगाढे उक्को० अनंतपए० तं चेव, तत्थ णं जे से जुम्मपएसिए से जह० दुपए सिए दुपएसोगाढे उक्कोसेणं अनंत० तहेव, तत्थ णं जे से पयरायते से दुविहे पं० तं० - ओयपए सिए य जुम्भपएसिए य, तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहन्त्रेणं पत्ररसपएसिए पन्नरसपएसोगाढे उक्कोसेणं अनंत० तहेव, तत्थ णं जे से जुम्भपएसिए से जहन्त्रेण छप्पसिए छप्पएसोगाढे उक्कोसेणं अनंत० तहेव, तत्थ णं जे से घणायते से दुविहे पं० तं० - ओयपएसिए य जुम्मपएसिर य, तत्थ णं जे से ओयपएसिए से जहन्नेणं पणयालीसपएसिए पणयाली सपएसोगाढे उक्कोसेणं अनंत• तहेव, तत्थ णं जे से जुम्मपए सिए से जह० बारसपएसिए बारसपएसोगाढे उक्कोसेणं अनंत० तहेव, परिमंडले णं भंते ! संगणे कतिपदेसिए० पुच्छा गोयमा ! परिमंडले णं संठाणे दुविहे पं० तं०-घणपरिमंडले य पयरपरिमंडले य, तत्थ णं जे से पयरपरिमंडले से जहन्त्रेणं वीसतिपदेसिए वीसइपएसोगाढे उक्कोसेणं अनंतपदे० तहेव, तत्थ णं जे से घणपरिमंडले से जहन्त्रेणं चत्तालीसपदेसिए चत्तालीसपएसोगाढे उक्कोसेणं ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित १५६ For Private And Personal

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