Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 03 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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सुमहदासखेजगुणहीण वा अन्त
म मा असंखेजइमागममहिए वा संखेजभागमहिए वा संखेजगुणमब्भहिए वा असंखेजगुणम्माहिए वा अण्ण म महिए, पुलाए भंते! बउसस्स परटाणसन्निगासेणं चरित्तपज्जवेहिं किं हीणे तुल्ले अब्भहिए?, गोयमा! हीणे नो तुल्ले नो अब्भहिए अणतगुणहीणे, एवं पडिसेवणाकुसीलस्सवि, कसायकुसीलेणं समं छट्ठाणवडिए जहेव सहाणे, नियंठस्स जहा बउसस्स, एवं सिणायस्सवि, बउसे गं भंते! पुलागस्स परटाणसन्निगासेणं चरित्तपज्जवेहिं किं हीणे तुल्ले अब्भहिए?, गोयमा! णो हीणे णो तुल्ले अब्भहिए अणंतगुणभमहिए, बउसे णं भंते! बउसस्ससट्ठाणसनिगासेणं चरित्तपनवेहिं० पुच्छा, गोयमा! सिथ हीणे सियतुल्ले सिय अब्भहिए, जइ होणे छट्ठाणवडिए, बउसे णं भंते! पडिसेवणाकुसीलस्स पढाणसन्निगासेणं चरित्तपजरेहिं किं हीणे०?, छट्ठाणवडिए, एवं कसायकुसीलस्सवि, बसे णं भंते! नियंठस्स पढाणसन्निगासेणं चरित्तपज्जवेहिं० पुच्छा, गोयमा! हीणे णो तुल्ले णो अब्भहिए अणंतगुणहीणे, एवं सिणायस्सवि, पडिसेवणासीलस्स एवं चेव बउसवत्तव्वया भाणियव्वा, कसायकसीलस्स पर० एस चेव बउसवत्तव्व्या नवरं पुलाएणवि सम छट्ठाणवडिए, णियंठे गं भंते! पुलागस्स पढाणसनिगासेणं चरित्तपजवेहिं० पुच्छा, गोयमा! णो हीणे णो तुल्ले अब्भहिए अणंतगुणमब्भहिए, एवं जाव कयायकुसीलस्स, णियंठे णं भंते! णियंठस्स सट्टाणसनिगासेणं० पुच्छा, गोयमा! नो हीणे तुल्ले णो अब्भहिए, एवं सिणायस्सवि, सिणाए भंते! पुलागस्स परट्ठाणसनिक एवं जहा नियंठस्स वत्तव्वया तहा सिणायस्सवि भाणियव्वा | ॥श्रीभगवती सूत्रं ॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
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