Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 03 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 171
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir | दुहेआवंका गओखहा दुहओखहा चकवाला अद्धचकवाला, परमाणुपोग्गलाणं भते! अणुसेढी गनी पवनति विसढिं गनी यवनति ? गोयमा! अणुसेढिं गती यवत्तति नो विसडिं गती वित्तति, दुपएसियाणं भंते! खंधाण अणुसेढी गती पवननि विसेढिं गती पवत्ततिः । एवं चेव, एवं जाव अणंतपएसिवाणं खंधाणं, नेरइयाणं भंते ! किं अणुसेढी गती पवत्तति विसेढी गती पवत्तति?, एवं चेव, एवं जाव वेमाणियाणं ७३१।इभीसे णं भंते! रयणप्यभाए पुढवीए केवतिया निरयावाससयसहस्सा पं०?, गोयमा! तीसं निरयावाससयसहस्सा पं०, एवं जहा पढभसते पंचमुद्देसगे जाव अणुत्तरविमाणत्ति ७३२ कइविहे गं भंते ! गणिपिडए पं०?, गोयमा! दुवालसंगे गणिपिडए| पं००-आयारो जाव दिहिवाओ, से किं तं आयारो?, आयारे णं सभणाणं निगंथाणं आयारगो० एवं अंगपरूवणा भाणियव्वा जहा नंदीए, जाव सुत्तत्थो खलु पढमो बीओ निजुत्तिमीसिओ भणिओ ! तइओय निरवसेसो एस विही होइ अणुओगे ॥१४॥७३३ एएसिं णं भंते ! नेतियाणं जाव देवाणं सिद्धाण य पंचगतिसमासेणं कयरे०? पुच्छा, गोयमा! अप्याबहुयं जहा बहुवत्तव्क्याए अट्ठगइसमासअप्पाबहुगं च, एएसिंणं भंते! सइंदियाणं एगिदियाणं जाव अणिंदियाण य कयरे०? एयंपि जहा बहुवत्तव्वयाए तहेव ओहियं पयं भाणियव्वं, सकाइयअव्याबहुगं तहेव ओहियं भाणियव्वं, एएसिंणं भंते! जीवाणं पोग्गलाणं जाव सव्वपज्जवाण य क्यरे०? जाव बहुक्त्तव्वयाए, एएसिंणं भंते ! जीवाणं आउयस्स कम्मरस बंधगाणं अबंधगाण० जहा बहुवत्तव्वयाए जाव आउयस्स कम्मरस अबंधगा विसेसाहिया! सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ७३४॥श० २५ ३०3०३॥ ॥श्रीभगवती सूत्रं ॥ ५. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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