Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 03 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 196
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir वा होजा पुरिसवेयए वा होजा पुरिसनपुंसगवेयए वा होजा, एवं पडिसेवणाकुसीलेऽवि, कसायकुसीले णं भंते! किं सवेदए०?|| पुच्छा, गोयमा ! सवेदए वा होजा अवेदए वा होजा जइ अवेदए किं उवसंतवेद५० खीणवेदए होजा?, गोयमा ! उवसंतवेदए वा० खीणवेदए वा होजा, जइ सवेयए होजा किं इथिवेदए० पुच्छा, गोयमा ! तिसुवि जहा बउसो, णियंठे गं भंते ! किं सवेदए० पुच्छा, गोयमा ! णो सवेयए होजा अवेयए होजा, जइ अवेयए होजा किं उवसंत० पुच्छी, गोयमा ! उवसंतवेयए वा होजा खीणवेयए वा होजा, सिणार णं भंते ! किं सवेयए होजा०?, जहा नियंठे तहा सिणाएऽवि, नवरं जो उवसंतवेयए होजा खीणवेयए होज्जा ७५२१|| पुलाए णं भंते ! किं सरागे होजा वीयरागे होजा?, गोयमा ! सरागे होजा णो वीयरागे होजा, एवं जाव कसायकुसीले, णियंठे गं भंते! किं सरागे होजा?, पुच्छ।, गोयमा ! जो सरागे होजा वीयरागे होजा, जइ वीयरागे होज्जा उवसंतकसायवीयरागे होजा | खीणकसाय वीयरागे वा होजा?, गोयमा! उवसंतकसायवीयरागे वा होजा खीणकसायवीयरागे वा होजा, सिणाए एवं चेव, नवरं जो उसंतकसायवीयरागे होजा खीणकसायवीयरागे होजा । ७५३। पुलाए णं भंते! किं ठियकप्पे होज्जा अट्ठियकप्पे होजा?, गोयमा! ठियकथ्ये वा होजा अट्ठियकप्पे वा होजा, एवं जाव सिणाए, पुलाए णं भंते! किं जिणकप्पे होजा थेरकप्पे होजा कप्यातीते होजा?, गोयमा! नो जिणकप्ये होजा थेरकप्ये होजाणो कप्यातीते होजा, बउसे f० पुच्छा, गोयमा! जिणकप्पे वा होज्जा २कप्पे वा होजा नो कप्यातीते होजा, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि, कसायकुसीले f० पुच्छ।, गोयमा! जिणकप्पे वा होजा थेरप्ये वा ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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