Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 03 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 144
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir उक्कोसेणं तिपलिओवमठिती अवसेसं तं चेव नवरं परिमाणं ओगाहणा य जहा एयरसेव तइयगमए, भवादेसेणं दो भवगहणाई कालादे० जह० तिन्नि पलिओवमाई पुवकोडीए अब्भहियाई उक्कोसेण तिन्नि पलिओवमाई पुवकोडीए अब्भहियाई एवतियं० जड़ मणुस्सेहिंतो उववजति किं सन्निमणु०?, गोयमा! सन्निमणु० असन्निभणु०, असन्निभणुस्से णं भंते! जे भविए पंचिंदियतिरिक्व० उवव० से णं भंते! केवतिकाल०?, गोयमा! जह० अंतोमु० उक्को० पुवकोडीआउएसु उववजति लद्धी से तिसुवि गमएसु जहा पुढवीकाइएसु उववज्जमाणस्स संवेहो जहा एत्थ चेव असन्निपंचिंदियस्समझिमेसु तिसु तहेव निखसेसो भाणियव्वो, जइ सन्निमणुस्स० किं संखेजवासाउयसन्निमणुस्स० असंखेजवासाउय०?, गोयमा! संखेजवासा० नो असंखे०, जइ संखेज० किं पजत्त० अपज्जत्त?, गोयमा! पज्जत्त० अपज्जत०?, गोयमा! प्रज्जत्त० अपज्जत्तसंखेजवासाउ००, सन्निमणुस्से णं भंते! जे भविए पंचिंदियतिरिक्ख० उवव० से णं भंते! केवति?, गोयमा! जह० अंतोमु० उक्को० तिपलिओवमठितीएसु उव०, ते णं भंते!० लद्धी से जहा एयस्सेव सन्निमणुस्सस्स पुढवीकाइएसु उववजमाणस्स पढभगमए जाव भवादेसोत्ति, कालादे० जह० दो अंतोमु० उक्को० तिन्निपलि० पुवकोडिपुत्तमब्भहियाई, सो चेव जहन्नकालठितीएसु उववत्रो एस चेव वत्तव्वया णवरं कालादे० जह० दो अंतोमु० उक्कोसेणं ||चत्तारि पुवकोडीओ चाहिं अंतोमुत्तेहिं अब्भहियाओ, सो चेव उक्कोसकालठितीएसु उवव० जहन्नेणं तिपलिओवभट्ठिइएसु उक्कोसेणवि तिपलिओवमट्टिइएसु सच्चेव वत्तव्वया नवरं ओगाहणा जहन्नेणं अंगुल हुत्तं उकोसेणं पंचधणुसयाई, ठिती जहन्नेणं मासपुहुत्तं ॥श्रीभगवती सूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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