Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 03 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 128
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallashsagarsuri Gyanmandir अट्ठावीसं वाससहस्साई चहिं अंतोमुहुत्तेहिं अमहियाई एवतियं०, णवमे गमए भवादेसेणं जहन्नेणं दो भवगहणाई उक्कोसेणं अट्ठ भवगहणाई कालादेसेणं जहन्नेणं एकूणतीसाई वाससहस्साइंउक्कोसेणं सोलसुत्तरं वाससयसहस्सं एवतियं० एवं णवसुवि गमएसु आउक्काइयठिई जाणियव्वा, जइ तेउकाइएहितो उवव० तेउक्काइयाणवि एस चेव वत्तव्वया नवरं नवसुवि गमएसु तिन्नि लेस्साओ तेउक्काइयाणं, सूइकलावसंठिया, ठिई जाणियव्वा तईयगमए कालादेसेणं जह० बावीसं वाससह० अंतोमुत्तममहि० कोसेणं अट्ठासीती वाससहस्साई बारसहिंराइदिएहिं अब्भहियाई एवतियं० एवं संवेहो उवजुंजिऊण भाणियव्वो, जइ वाउकाइएहितो वाउकाइयाणवि एवं चेवणव गमगा जहेव तेउकाइयाणं णवरं पडागासंठिया ५०, संवेहोवाससहस्सेहिं कायव्यो तइयगमए कालादेसेणं जह० बावीसं वाससहस्साई अंतोमुत्तममहियाई उक्कोसेणं एगं वाससयसहस्सं एवं संवेहो उवजुंजिऊण भाणियव्वो, जइ वणस्सइकाइएहितो उवव० वणस्सइकाइयाणं आउकाइयगमगसरिसा णव गभगा भाणियव्वा नवरंणाणासंठिया सरीरोगाहणा पढमएसु पच्छिल्लएसु यतिसु गमएसु जह० अंगुलस्स असंखेजइभागो उक्कोसेणं सातिरेगंजोयणसहस्सं मझिल्लएसुतिसु तहेव जहा पुढवीकाइयाणं संवेहो ठिती य जाणियव्वा तइयगमे कालादेसेणं जहन्नेणं बावीसं वाससहस्साई अंतोमुत्तममहियाई उक्कोसेणं अट्ठावीसुत्तरं वाससयसहस्सं एवतियं० एवं संवेहो उवजुंजिऊण भाणियव्यो । ७०२ जइ बेइंदिएहितो उववनंति किं पजत्तबेइंदिएहितो उवव० अपज्जत्तबेइंदिएहितोऽवि उवव०, बेइंदिए णं भंते! जे भविए पुढवीकाइएसु उववजित्तए से णं भंते! केवतिकाल०?, गोयमा जह० | ॥श्रीभगवती सूत्र ॥ पू. सागरजी म. संशोधित | For Private And Personal

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