Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 03 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 135
________________ Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir | जावगंधव्ववाणमंतर०, वाणमंतरदेवे णं भंते! जे भविए पुढवीकाइए० एतेसिंपि असुरकुमारगमसरिसा नव गमगाभाणि०, नवरं ठितिं | कालादेसं च जाणेज्जा, ठिती जहन्ने० दसवाससह ० उक्कोसेणं पलिओवमं सेसं तहेव, जइ जोइसियदेवेहिंतो उवव० किं चंदविमाणजोतिसियदेवेहिंतो उवव० जाव ताराविमाणजोइसिय०?, गोयमा ! चंदविमाण जाव ताराविमाण०, जोइसियदेवे णं भंते! जे भविए पुढविक्काइए० लद्धी जहा असुरकुमाराणं णवरं एगा तेउलेस्सा तिन्नि णाणा तिनिअत्राणा नियमं ठिती जहन्नेणं | अट्ठ भागपलिओवमं उक्कोसेणं पलिओवमं वासस्यसह स्समम्भहियं एवं अणुबंधोऽवि, कालादे० जह० अट्ठभागपलिओवमं अंतोमुहुत्तमम्भहियं उक्कोसेणं पलिओवमं वासस्यसहस्सेणं बावीसाए वाससहस्सेहिं अब्महियं एवतियं०, एवं सेसावि अट्ठ गमगा भाणियव्वा नवरं ठितिं कालादेसं च जाणेज्जा, जइ वेमाणियदेवेहिंतो उवव० किं कप्पोवगवेमाणिय० कप्पातीयवेमाणिय० ?, गोयमा! कप्पोवगवेमाणिय० णो कप्पातीतवेमाणिय०, जइ कप्पोवगवेमाणिय० किं सोहम्मकथ्पोवगेवेमाणिय जाव अच्चुयकष्पोवगवेमा० ?, गोयमा! सोहम्मकम्पोवगवेमाणिय० ईसाणकप्पोवगवेमाणिय० णो सणकुमार जाव णो अच्युयकप्पोवगवेमाणिय०, सोहम्मदेवे णं भंते! जे भविए पुढवीकाइएसु उवव० ते णं भंते! केवतिया एवं जहा जोइसियस्स गमगा णवरं ठिती अणुबंधो य जहन्नेणं पलिओवमं उक्कोसेणं दो सागरोवमाइं कालादे० जह० पलिओवमं अंतोमुहुत्तमम्भहियं उक्को सेणंदो सागरोवमाई बावीसाए वाससहस्सेहिं अब्महियाई। एवतियं कालं०, एवं सेसावि अट्ठ गमगा भाणियव्वा, गवरं ठितिं कालदेसं च जाणेज्जा, ईसाणदेवे णं भंते! जे भविए० एवं पू. सागरजी म. संशोधित ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १२५ For Private And Personal

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