Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana, Ratanmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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आहारपरिज्ञा : तृतीय अध्ययन : सूत्र ७४६ ]
[ १३१ विवेचन–समुच्चयरूप से सर्वजीवों की प्राहारादि प्रक्रिया एवं प्राहार-संयम प्रेरणा प्रस्तुत सूत्र द्वय में अध्ययन का उपसंहार करते हुए समुच्चयरूप से सभी जीवों के आहारादि का निरूपण किया गया है । मुख्यतया उत्पत्ति, स्थिति, संवृद्धि, आहार-आदि का मुख्य कारण कर्म है । सभी जीव अपने-अपने कर्म से प्रेरित होकर उत्पन्न होते हैं, ईश्वर, काल आदि की प्रेरणा से नहीं । अतः साधक को आहार के सम्बन्ध में ज्ञान, दर्शन, चारित्र, संयम एवं आत्माराधना की दृष्टि से विचार करके निर्दोष आहार-सेवन करना उचित है।'
॥ प्राहारपरिज्ञा : तृतीय अध्ययन समाप्त ॥
१. सूत्रकृतांग शीलांक वृत्ति पत्रांक ३५९ का सार