Book Title: Aagam 24 V CHATU SHARAN Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम
“चतु:शरण” - प्रकीर्णकसूत्र-१ (मूलं+अवचूर्णि:)
(२४-वृ)
..................--- मुलं ||१३-२२|| ---------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-२४/व), प्रकीर्णकसूत्र-[१] “चतुःशरण” मूलं एवं विजयविमलगणि कृता अवचूर्णि:
चत शरणे
अर्हच्छरणं गा.१२
प्रत सूत्रांक ||१३-२२||
EBERRERAKASARAN
रायसिरिमवकसित्ता तवचरणं दुच्चरं अणुचरंता। केवलसिरिमरिहंता अरहंता हुंतु मे सरणं ॥ १४ ॥ थुइवंदणमरिहंता अमरिंदनरिंदपूअमरहता। सासयसुहमरहंता अरहता हुंतु मे सरणं ॥१५॥ परमणगयं मुणंता जोइंदमहिंदझाणमरिहता। धम्मकहं अरहंता अरहता हुंतु मे सरणं ॥ १६ ॥ सबजिआणमहिसं अरहंता सञ्चवयणमरहता। बंभवयमरहंता अरहंता हुंतु मे सरणं ॥ १७ ॥ ओसरणमवसरंता चउतीसं अइसए निसेवित्ता। धम्मकहं च कहता अरहता हुंतु मे सरणं ॥१८॥ एगाइ गिराऽणेगे संदेहे देहिणं समं छित्ता। तिहुअणमणुसासंता अरिहंता हुंतु मे सरणं ॥ १९ ॥ वयणामएण भवणं निव्वावंता गुणेसु ठावंता। जिअलोअमुद्धरंता अरिहंता हुंतु मे सरणं ॥२०॥
RCHECCASESAKAAREERESTER
दीप अनुक्रम [१३-२२]
॥६१
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