________________
नैतिकता का वातावरण
श्री मोहनलाल गौतम भूतपूर्व सामुदायिक विकासमंत्री, उत्तरप्रदेश सरकार प्राचार्यश्री तुलसी अभिनन्दन ग्रन्थ के प्रकाशन की योजना के बारे में जानकर अतीव प्रसन्नता हुई।
प्राचार्यश्री तुलसी स्वयं अपने जीवन से तथा अपने अणुव्रत-पान्दोलन के द्वारा जिस नैतिकता का वातावरण उत्पन्न कर रहे हैं, वह आज के युग में भारतीय जीवन को सजीव और सशक्त रखने के लिए प्रावश्यक ही नहीं, अपितु अनिवार्य भी है । प्रान्तरिक शोध के अभाव में बाह्य प्रगति कल्याणप्रद के रथान पर हानिकर होगी, यह निर्विवाद है।
मुझे विश्वास है कि इस अभिनन्दन ग्रन्थ द्वारा प्राचार्यश्री तुलसी के जीवन, विचार पद्धति और कार्यप्रणाली पर जो बहुमुखी प्रकाश पड़ेगा, वह हमारे जन जीवन को पालोकित कर सही मार्ग की पोर उन्मुख करने में सहायक होगा।
प्राचीन सभ्यता का पुनरुज्जीवन महाशय बनारसीदास गुप्ता उपमन्त्री, मेल विभाग, पंजाब सरकार
प्राचार्यश्री तुलसी जैसे उस महान तपस्वी के दर्शन मैने उस समय किये थे, जब कि वे हजारों मील की पद-यात्रा करते हुए हामी (पंजाव) पधारे थे। मैंने भी ग्रापका पंजाब सरकार और पंजाब की जनता की ओर से, हजारों नर-नारी जो भारत के सभी प्रान्तो मे वहाँ पाये हुए थे, उनकी विशाल उपस्थिति में अभिनन्दन और स्वागत किया था। प्राचार्यश्री तुलसी का यह परिश्रम भारत की प्राचीन सभ्यता को पुनरुज्जीवित करने में सफल हो रहा है और रहेगा। देश की स्वतन्त्रता के भरण-पोषण के लिए जहाँ तमाम साधन जुटाने की आवश्यकता है, वहाँ इस देश में चरित्र-निर्माण का महान कार्य चलाने की भी महती आवश्यकता है। आपके पुनीत प्रयत्न के फलस्वरूप लाखों प्राणी इस महान् कार्य में जुटे हुए हैं। परन्तु इसना ही काफी नहीं है। यह देश तो बड़ा महान् है। इसका भूतकाल बड़ा महान रहा है। पायो ! मिल कर इमके भविष्य को भी उज्ज्वल बनाएं।
मैंने पिछले चार सालों में प्राचार्यश्री तुलसी के चरण-चिह्नों पर चलने का थोड़ा-सा प्रयास किया है। पदयात्राएं कीं और गांव-गाँव में जाकर सांस्कृतिक जीवन का संदेश दिया। इससे मुझे यह अनुभव हुआ कि यह रास्ता महान् कल्याणकारी है। भारतवर्ष को प्राप जैसे हजारों तपस्वी साधुनों की परम अावश्यकता है ताकि यह देश फिर से धर्मपरायण होकर ऊँचे भादर्शों, अपनी सभ्यता और संस्कृति की रक्षा के लिए आपके बताये हुए मार्ग पर चल सके और संसार में फिर विख्यात होकर प्राध्यात्मिकता के प्रति आकर्षण उत्पन्न कर सके। मैं इस शुभ अवसर पर आपका अभिनन्दन करता हूँ।
OME