Book Title: Yugadi Vandana
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir

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Page 46
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३८ युगाविसमा सकलकमलदलकरपदनयन ! प्रहतमदनमद! भवभय-हरण ! सततममरनरनतपदकमल ! जय जय गतमदमदकलगमन ! ॥१॥ अमलकनकनगवर! गतमरण ! क्षतजननमरण! शमरससदन! श्रवणकमलवनतपन! गतभव! भवभयमयहर मम जनम हन ।।२।। अभयद! भवदरजलधरपवन ! सबलमदनवनदहनजलधर ! व्यपगतमद ! शशधरवरवदन! जगदघहर! जयततनयसमय! ॥३॥ तरलकरणहयवरदमनकर ! कनककजनक्कगमन! वरवचः । प्रथय परमपदमपदरधवलध्वज ! घनघनवररव ! जनशरण! ॥४॥ परमपदरमण ! कमनकजरद ! शशधरकरहर ! नगधवलयश! परमतकजगज! सकलजनमन: कलकरलसदमरनग! रचय शम् ॥५॥ [ शार्दूलविक्रीडितम् ] इत्येवं प्रथमस्वरेण सकलोऽभीष्टार्थकल्पद्रुमः, सद्भक्त्या प्रथमो जिनः स्तुतिपथं नीतो युगादिप्रभुः । दोषान्मेऽवगणय्यविश्वजनता त्राता गुण-स्थानकम् दुर्भेचं प्रथम भिनत्तु सपदि श्रेयः श्रियं यच्छतात् ॥६॥ For Private And Personal Use Only

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