Book Title: Yugadi Vandana
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir

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Page 126
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११८ युमा वन्दना जय देवाधिदेवं देवत्वं, जय नाभिनरेन्द्रजम् । जय कामितकल्पद्रो. जय संसारतारक ॥१॥ जय चिन्मात्रमग्नत्वं, जय तत्त्वोपदेशक । जय दारीदराऽरक्त, जय स्फारादरान्वित ।।२।। जय ज्ञानामृतसक्त, जय ध्यानामृताचल। जय योगीन्द्रनाथत्वं, जय भोगीन्द्रसे बेत ॥३॥ ॥ श्रीशत्रुञ्जयस्तोत्रम् ।। जय श्रीविमलाद्रीश जय श्रीविमलालय । महानन्दपदं देव महानन्दपदं ददा ॥१॥ शत्रु शत्रुअयाजय्य च्छिन्द्धि भिनिन्द्ध तमस्तमम् । ग्रन्थि ग्रन्थं च निर्ग्रन्थसेव्यसेव्यतमाह्वया ।।२।। सिद्धक्षेत्रं सुसेवध्वं सिद्धिक्षेत्रं सतां मतम् ।। भाविका भविकात्मानः पापापायवियत्पदाम् ॥३॥ पुण्डरीकाचलं वन्दे श्रीपदं पुण्डरीकवत् । सहसा सहसानेकदोषपोषविशोषकृत् ॥४॥ भक्तिभक्तिभरैरेवं स्तुतैः सिद्धगिरिगिरिः । स्थितः सुस्थितदो मेऽस्तु श्रीहर्षविनयश्रिया ॥५॥ For Private And Personal Use Only

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