Book Title: Yugadi Vandana
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir

View full book text
Previous | Next

Page 65
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra स्तवनानि www.kobatirth.org यः सन्ध्याभ्रसमं निरक्ष्य विभवं, सांसारिकं सत्त्वरम्, जमाहाऽशिवशान्तये शिवपथ-प्रख्यापनेऽदुर्बलाम् । दीक्षां भागवत तममुतयशो, - राशि कृपा वैभवम्, भूभूषांऽर्बुद-भूषणं भवभिदं नौम्यादिनाथं मुदा ||८|| १३ [ प्रभातीवृत्तम् ] भजतजगदीश्वरं, ऋषभ - योगीश्वरं, शङ्करं जन्तुगण सकल भवभयहरं, वृषभ - लाञ्छनधरं, प्रथमतीर्थङ्करं विजय विकारम् । विमलगिरि - पूर्व- गिरिराज- वासरकरं, सुमरुदेबोदरा करज हीरम् । जगति गति - वितततर कुमति मत- धनधना कारकम् ! ऋषभ० . ॥१॥ घनघटा - विघटनोत्कट - समीरम् । ऋषभ० ||२|| मदन-मद-कन्द- -निः कन्दनाऽमन्दतर धार - तरवारिम् - अमर गिरि धीरम् । कुशल - हरि चन्दन - प्रकर- नन्धनवनं, कुनय - घन - रेणु - संहरण - नीरम् । ऋषभ० ॥३॥ प्रणत- विबुधेन्द्र - दनुजेन्द्र मनुजेन्द्रगण !, विहित वन्दनमिनं जैन- चन्द्रम् । त्रिजगदानन्दं, नाभिनृपनन्दनं, पाप-संताप - चन्दनमनिद्रम् विगत-सकलापदं, सम्पदां कारणं, Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कठिन - ममता-मही - भेद-सीरम् । अखिल- मकराकर - प्रकर-बरर - सुचिरतर, । ऋषभ० ॥४॥ For Private And Personal Use Only गरिमधर- चरम - सागर - गभीरम् । ऋषभ० ॥५॥ ५७

Loading...

Page Navigation
1 ... 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149