Book Title: Veer Ekadash Gandhar Puja
Author(s): Vijayvallabhsuri
Publisher: Granth Bhandar

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Page 22
________________ (२४) शंका दूषित आतमा, आया निकट जिनंद । मधर वचन समझाइया, देकर साखी छंद ॥५॥ सारंग-कहरवा। सत्ता आतम जिन फरमाना । अंचली। जो जो हैं शुद्ध पद इस जगमें, उनका वाच्य अर्थ सब माना । स०१॥ भूत किसीमें चेतन शक्ति, है नहीं चेतन जीव वखाना । स० २॥ प्रत्यक्ष सोहं प्रत्यय चेतन, चेतन विन किस सोहं जाना । स०३॥ दान दया दम जाने चेतन, वेद वचन द द द परमाना । स०४॥ वीर वचन सुधा पानसे गौतम, चरन पर्यो तजी निज अभिमाना। स०५॥ पनरां सौ तापस प्रति बोधी, अष्टापद तीरथ चल जाना । स० ६ ॥ आतम लक्ष्मी ज्ञान विमल गुण, वल्लम हर्ष अपूरव पाना । स०७॥ __ काव्य। सुरनरेश्वर पूजित पद्कजं, श्रुतिपदेन समुद्भव संशयम् । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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