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शंका दूषित आतमा, आया निकट जिनंद । मधर वचन समझाइया, देकर साखी छंद ॥५॥
सारंग-कहरवा। सत्ता आतम जिन फरमाना । अंचली। जो जो हैं शुद्ध पद इस जगमें,
उनका वाच्य अर्थ सब माना । स०१॥ भूत किसीमें चेतन शक्ति,
है नहीं चेतन जीव वखाना । स० २॥ प्रत्यक्ष सोहं प्रत्यय चेतन,
चेतन विन किस सोहं जाना । स०३॥ दान दया दम जाने चेतन,
वेद वचन द द द परमाना । स०४॥ वीर वचन सुधा पानसे गौतम,
चरन पर्यो तजी निज अभिमाना। स०५॥ पनरां सौ तापस प्रति बोधी,
अष्टापद तीरथ चल जाना । स० ६ ॥ आतम लक्ष्मी ज्ञान विमल गुण, वल्लम हर्ष अपूरव पाना । स०७॥
__ काव्य। सुरनरेश्वर पूजित पद्कजं,
श्रुतिपदेन समुद्भव संशयम् ।
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