Book Title: Veer Ekadash Gandhar Puja
Author(s): Vijayvallabhsuri
Publisher: Granth Bhandar
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( ४८ )
एकादश गणधर इस कारण,
गण नव वीर जिनंदी भविक ० ॥ ८ ॥ मास संलेखना मुक्ति सबकी,
राजग्रही विकसंदी-भविक ० ॥ ९ ॥ प्रभु होते मुक्ति नव पीछे,
गौतम सोहम नदी - भविक० ॥ १० ॥ इम संक्षेपरूप प्रभु गणधर, वर्णन चित्त हुलसंदी - भविक ० ॥ ११ ॥ करें वसुं अंक इंदु आश्विन सुदि, गुजरांवाला सुहंदी - भविक ० ॥ १२ ॥ पंचमी बुध तप अट्ठम साथे,
रचना पूर्ण आनंदी- भविक० ॥ १३ ॥ विजयानंद सूरिपद सेवी,
लक्ष्मी विजय सुखकंदी - भविक ० ॥ १४ ॥ आतभ लक्ष्मी ज्ञान विमल गुण,
वल्लभ हर्ष अमंदी - भविक० ॥ १५ ॥
भूल चूक मिच्छामि दुक्कड,
साखी पास जिनंदी - भविक ० ॥ १६ ॥ ॥ इति गणधरपूजा ॥
समाप्त.
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