Book Title: Veer Ekadash Gandhar Puja
Author(s): Vijayvallabhsuri
Publisher: Granth Bhandar

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Page 38
________________ (४०) इस विध अर्थ करनेसे सुंदर, __संशय दूर भगानाजी-प्रभु०॥६। तुम सरीखे नहीं जासकते वहाँ, उनका नहीं यहां आनाजी । प्र०॥७॥ इसकारण परतख नहीं दीसत, युक्ति सिद्ध कहानाजी । प्र० ॥८॥ केवल ज्ञानी देखत परतख, जिम संशय तुम मानाजी ॥ प्र०॥९॥ वीरवचन प्रतिबोधको पामी, हुए दीक्षित मुनिराजाजी ॥ प्र०॥१०॥ आतम लक्ष्मी ज्ञान विमलगुण, वल्लभ हर्ष अमानाजा ॥ प्र० ॥ ११ ॥ काव्य। सुरनरेश्वर पूजित पद्कजं, श्रुतिपदेन समुद्भव संशयम् । जिनपवीरगिरागतकल्मषं, गणधरं श्रुतरत्नधरं स्तुवे ॥१॥ मंत्र। ॐ, ही, श्री, परमपुरुषाय, परमेश्वराय, जन्मजरामृत्युनिवारणाय, सवलब्धि निधानाय श्रीमते श्रीअपितगणधराय, जलादिकं यजामहे स्वाहा । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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