Book Title: Veer Ekadash Gandhar Puja
Author(s): Vijayvallabhsuri
Publisher: Granth Bhandar

View full book text
Previous | Next

Page 36
________________ ( ३८ ) वीर वचनसे मौर्य पुत्रको, देव विषय हुआ ज्ञाना । प्रभु चरनमें लेकर दीक्षा, रोम रोम हरखाना रे-प्रभु० ॥५॥ सप्तम गणधर अष्टम गतिमें, पायो पद निरवाना। आतम लक्ष्मी ज्ञान विमल गुण, वल्लभ हर्ष अमानारे-प्रभु० ॥६॥ काव्य। सुरनरेश्वर पूजित पदकजं, श्रुतिपदेन समुद्भव संशयम् । जिनपवीरगिरागतकल्मषं, गणधरं श्रुतरत्नधरं स्तुवे ॥१॥ मंत्र। ॐ, ही, श्री, परमपुरुषाय, परमेश्वराय, जन्मजरामृत्युनिवारणाय, सर्वलब्धि निधानाय श्रीमते श्रीमौर्यपुत्रगणधराय, जलादिकं यजामहे स्वाहा । अथ अष्टम श्रीअकंपित गणधरपूजा ॥८॥ दोहा अंकपित द्विज आठमा, गणधर गुणकी खान । मिथिला नगरी शोमती, गौतम गोत्र प्रधान ॥१॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 34 35 36 37 38 39 40 41 42